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प्रज्ञापनासूत्रे
तं एगट्टिया?' 'से' - अथ, 'किं तं' के ते कतिविधा इत्यर्थः 'एगडिया' एकास्थिकाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - 'एगडिया अणेगविहा पण्णत्ता' एकास्थिकाः, अनेकविघाः नानाप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः तानेव गाथात्रयेणाह - 'तं जहा ' तद्यथाऽणिबंब जंबुकोसंब साल अंकुल्ल पीलु सेलूय । सल्लइ मोयइ मालुय बउल पासे करंजेय || १२ | निम्बम्र जम्बू कोशाम्रशालाङ्कोठ पीलुशेलुश्च । सल्लकी मोचकी मालुक बकुलपलाशाः करञ्जश्व' तत्र - निम्बः प्रसिद्धः रसवृक्षः, आम्रश्चूताः, जम्बुः - कषायरस विशिष्टवृक्षः कोशाम्रः - तन्नामकवृक्षविशेषः, शालः- सर्जः, अङ्कोठः - वृक्षविशेषः, अखरोट पदवाच्यः, पिलुः - वृक्षविशेषः प्रसिद्धः, शेलुः- श्लेष्मातकः, सल्लकीहस्तिप्रिया, मोचकी - देशविशेषे प्रसिद्धा, मालुकः - अयमपि देशविशेषे प्रसिद्धः, बकुल:- केसरः, पलाशः - किंशुकः, करञ्जः - नक्तमाल:, 'पुत्तं जीवयरिट्ठे बिहेलए हरिडए य भिल्लाए | उंबेमरिया खीरिणि बोद्धव्वे धायइ पियाले ॥ १३॥ पुत्रजीवकारिष्ट विभीतकाः, हरीतकच भरलातक उम्बेभरिका क्षीरणी बोद्धव्या, धातकी प्रियाल:' तत्र - पुत्रजीवकः - देशविशेषे प्रसिद्धः 'पितौझिया' इति भाषा -
टीकार्थ- अब एकास्थिकों की प्ररूपणा करते हैं- एकास्थिक वृक्ष कितने प्रकार के होते हैं ? भगवान् ने कहा- एकास्थिक वृक्ष नाना प्रकार के होते हैं । उनका आगे तीन गाथाओं में कथन करते हैं । वे इस प्रकार हैं- नीम, आम, जामुन (कषाय रस वाला एक वृक्ष प्रसिद्ध है) कोशम्ब, शाल (साज), अंकोट, जिसे अखरोट कहते हैं, पीलु, शेलु (इलेष्मातक), सल्लकी ( हस्तिप्रिया), मोचकी, जो किसी देश में प्रसिद्ध है, मालूक, यह भी देश विशेष में प्रसिद्ध है, बकुल - केसर, पलाश ( खाखरा), करंज - नक्तमाल, पुत्रजीवक (देश विशेष में प्रसिद्ध, जिसे ( पितौझिया कहते हैं) अरिष्ट (अरीठा) विभीतक (बहेडा), हरीतक ( हरड, यह कोंकण देश में प्रसिद्ध है), भल्लातक (मिलावा), उम्बेभरिया ( यह लोक प्रसिद्ध है), क्षीरणी (खिरनी), धातकी, पियाल,
હવે એકાસ્થિકાની પ્રરૂપણા કરે છે-એકાસ્થિવ્રુક્ષ કેટલા પ્રકારના છે ? શ્રી ભગવાન ઉત્તર આપે છે–એકાસ્થિવ્રુક્ષ નાના પ્રકારના હેાય છે. તેઓનુ ऋणु गथासोमा उथन उरे छे. ते या प्रकारे छे- सीमडो, मांगो, लघु (तुराश वाणु वृक्ष) अशंभ, शाद, मोठा (लेने अमरोट उडे छे) पीलु, शेलु, साठ्ठी भोयी ? देशमां प्रसिद्ध छे. भालु अड्डा - प्रेसर, पाश- मायरो, ४२४-नहुत भात, पुत्र व अरिष्ठ (मरीही) विलीत:-मेडा, डुरीत४-३२डे, लक्ष्यात (लीसाभु) उम्मेमरीया, क्षीरणी, घातडी, पियास, यूतिए, सींगडो, ४२०४, सक्षणा, शिशया, असन (आन) युन्नाग-पुंस्डेसर, नागवृक्ष, श्रीपशु અશાક (આ બધાં લેાક પ્રસિદ્ધ છે.)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧