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________________ ३२६ जीवाभिगमसूत्रे सम्बन्धं कुर्वन्ति, 'अप्पेगझ्या देवा देवकलियं करेंति' अप्येकका देवा देवोत्कलिकां देवानां वातस्यैवोत्कलिका-तां कुर्वन्ति, 'अप्पेगझ्या देवा कहकहं करेंति' - अप्येककाः केचन देवाः देवकहकहं कुर्वन्ति-प्रभूतानां देवानां प्रमोदवशात् स्वेच्छावचनैः के लिर्देव कहकहस्तं कुर्वन्तीत्यर्थः । 'अप्पेगइया देवा देवदुदुहं करेंति' - अध्येकका देवा देव दुदुहुकं (अनुकरणमेतत् ) कुर्वन्ति । 'अप्पेगझ्या देवा देवसंनिवार्य देवउक्कलियं - देवकहकहं - देवदुदुहं करेंति' - अपि केचन देवाः देवसन्निपातं देवीत्कलिकां-देव कहकहकं - देव दुहदुहकं कुर्वन्तिः । ' अप्पेगइया देवा देवज्जोयंकरेंति'- अप्येकका देवा देवोदद्योतं कुर्वन्ति, 'अप्पेगझ्या देवा विज्जुयारं करेंति' - अप्येके केचन देवा विद्युतं कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा चेलुक्खेवं करेंति' - अप्येaar देवात् कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा देवुज्जोयं विज्जुयारं चेलक्खेवं ने उस समय देव सन्निपात किया अर्थात् आपस में बहुत अच्छा सम्बंध किया 'अप्पेगझ्या देवा देवुक्कलियं करेति' कितनेक देवों ने उस समय देवोत्कलिकाकी - देवों को हवा की तरह नचाया 'अप्पेगइया देवा देव कहकहं करेंति' कितनेकदेवों ने कह कह किया - प्रमोद के वश होकर इच्छानुसार वचनों द्वारा जो देव क्रीडा करते हैं उसका नामदेव कह कह हैं 'अप्पेगइया देवा देवदुह दुहं करें ति' कितने कदेवों ने उस समय 'दुह दुहकं' इस प्रकार का अनुकरण शब्द किया 'अप्पेगइया देवा देवज्जोयं करेति कितनेकदेवों ने उस समय देवोद्योत किया 'अप्पेगझ्या देवा, विज्जुगारं करेंति' कितनेकदेवों ने उस समयबिजलियां चमकाई 'अप्पेगइया देवा चेलुक्वेवं करेति' कितने कदेवो ने उस समय वस्त्रों को हवा में फरकाया 'अप्पेगइया देवा देवुज्जोयं, विज्जुयारं चेलुक्खेवं करेंति' कितनेक देवों ने उस समय देवोद्योत भी करें 'ति' डेंटला हेवाथे से वमते देवसंनिपात अर्थात् परस्पर घो सारो संबंध गांध्यो. 'अप्पेगइया देवा देवक्कलियं करेति' डेंटला हेवा मे समये देवादि पुरी अर्थात् देवाने हुवानी नेम नयाव्या. 'अप्पेगइया देवा 'देव sent करेति' ऐसा देवो देव ड य अर्थात् मानं वश जनीने પોતાની ઇચ્છા પ્રમાણેના વચના દ્વારા જે દેવા ક્રીડા કરે છે. તેનું નામ દેવ उ छे. 'अप्पेगइया देवा दुदुहं करेति' डेटला हेवा मे समये हुडहुड ए या प्रमाण॓ना अनु४२ शम्होनो उच्चार ये 'अप्पेगइया देवा देवज्जोयं करें ति' डेंटलाए हेयो मे समये देवोद्योतय. 'अप्पेगइया देवा विज्जुयारं करें ति डेंटला हेवाये मे समये विरणीय समावी. 'अप्पेगइया देवा चेलुक्वेवं करें 'ति' डेंटला हेवा मे समये पत्रोने इराव्या. 'अप्पेगइया देवा देवज्जोयं विज्जुयारं चेलुक्वेवं करेति' डेंटला हेवा मे समये देवोद्योत पशु य, विजी જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
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