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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू. ६६ विजयदेवाभिषेकवर्णनम् ३२३ भूमिचवेडं दलयंति' अप्येकका देवाः सिंहनादं पाददर्दरकं भूमिव पेटां दलयन्ति - एतत् त्रीण्यपि कुर्वन्तीत्यर्थः । ' अप्पेगइया देवा हक्कारेति' अप्येकका देवा हक्कारयन्ति, 'अप्पेगइया देवा बुकारेंति' -अध्येकका देवा बुत्कारयन्ति- बुत्कारं कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा थक्कारेति' -अध्येकका देवा थूत्कारयन्ति, 'अप्पेगइया देवा पुक्कारेति' - अप्येकका देवाः पूत्कारयन्ति, 'अप्पेगइया देवा नामाई सार्वेति' - अप्येककाः देवा नामानि श्रावयन्ति, 'अप्पेगइया देवा हकारेति बुकारेति थकारेति -पुका रेति नामाइ सावयंति' अप्येकका देवा हक्कारयन्ति- बुकारयन्ति धक्कारयन्तिपूत्कारयन्ति नामानि श्रावयन्ति सर्वानेतान्कुर्वन्ती इत्यर्थ: । 'अप्पेगइया देवा उपजमीन पर दोनों हाथों को पटका 'अप्पेगइया देवा सीहणादं पाददद्दरयं भूमिचवेडं दलयंति' किन्हीं एक देवों ने उस समय सिंहनाद भी किया, दोनों पैरों को जमीन ऊपर भी पटका और दोनों हाथों को भी जमीन पर पटका 'अप्पेगइया देवा हक्कारे ति' कितनेकदेवों ने उस समय एक दूसरे देवों को हांकना प्रारम्भ किया जैसा कि खेल खेल में छोटे छोटे बच्चे एक दूसरे छोटे बच्चों को बैल आदि बनाकर हांकते है 'अप्पेगइया देवा बुकारेति' कितनेक देवों ने उस समय बुक्कारना प्रारम्भ किया - बकरी के तरह में में बोलना प्रारम्भ किया 'अप्पेगइया देवा थुक्कारेति' कितनेकदेवों ने उस समय थूत्कार करना प्रारम्भ कियाथू थू इस प्रकार के शब्दों का उच्चारण करते हुए खेल तमाशा करना शुरु कर दिया 'अप्पेगइया देवा पुक्कारेंति' कितनेकदेवों ने 'फूफू' ऐसा शब्द करना प्रारम्भ कर दिया 'अप्पेगइया देवा नामाई सावेंति' कित 1 દેવાએ એ સમયે જોર જોરથી બન્ને પગોને જમીનપર પછાડયા. અને કેટલાક हेवाओ मे समये कमीन पर जन्ने हाथो पछाडया. 'अप्पेगइया देवा सीहणाद पददद्दरयं भूमिचवेडं दलयंति' डेटला हेवा मे समये सिंहनाद पशु य બન્ને પગા જમીન પર પણ પછાડયા. અને બન્ને હાથેાને પણ જમીન પર पछाडया ' अप्पेगइया देवा हक्कारेति' डेटला हेवा मे समये खेड मीन દેવાને હાંકવા લાગ્યા. જેમ રમત કરવામાં નાના નાના છેકરાએ એક મીજા नाना नाना छोरागोने मगह विगेरे मनावीने डांडे छे तेम. 'अप्पेगइया देवा वुक्कारे ति' उटवार देवोगे से पते में अश्वान प्रारंभ य अर्थात् मरीना नभ में में से प्रमाणे मोसवाना प्रारंभ उर्यो 'अप्पेगइया देवा थुकारे 'ति' કેટલાક ધ્રુવેાએ એ સમયે થુકારવાના પ્રારંભ કર્યો અર્થાત્ થૂ થૂ એ પ્રકારના शम्होनु' उभ्या२] १२ता ४२ता जेल तमाशी ४२वानी शमत पुरी. 'अप्पेगइया देवा पुकारेति' डेटा देवा ई सेवा प्रभारना शम्हो उभ्यारण रवाना आलय. 'अप्पेगइया देवा नामाइ सावेंति' डेटला हेवा मे समये परस्पर જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
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