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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.६६ विजयदेवाभिषेकवर्णनम् २९५ अभिणयं अभिणयंति, तं जहा-दिट्रतियं पाडंतियं सामंतोवणिवातियं लोगमज्झावसाणियं, अप्पेगइया देवा पीणंति अप्पेग. इया देवा वुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा तंडवेंति, अप्पेगइया देवा लासेंति, अप्पेगइया देवा पीणंति-वुकारेंति-तंडवेंति-लासेंति, अप्पेगइया देवा अप्फोडेंति, अप्पेगइया देवावगंति,अप्पेगइया देवा तिति छिंदंति, अप्पेगइया देवा अप्फोडंति-वगंति तिति छिदेंति; अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति, अप्पेगइया देवा हथिगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगइया देवा रहघणघणायितं करेंति, अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति, हथिगुलगुलाइयं करेंति, रहघणघणाइयं करेंति,अप्पेगइया देवा उच्छोलेंति, अप्पेगइया देवा पछोलेंति, (अप्पेगइया देवा उकिटिं करेंति) अप्पेगइया देवा उक्किट्रीओ करेंति, अप्पेगइया देवा उच्छोलेंति-पच्छोलिंति-उक्किट्रीओ करेंति, अप्पेगइया देवा सीहणादं करेंति, अप्पेगइया देवा पादददरयं करेंति अप्पेगइया देवा भूमिचवेडं दलयंति,अप्पेगइया देवा सीहनादं पादददरयं भूमिचवेडंदयलयंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति, अप्पेगइया देवा वुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा थक्कारेंति,अप्पेगइया देवा पुकारेंति, अप्पेगइया नामाइं सावेंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति-वुक्कारेंति थक्कारेंति-पुक्कारेंति णामाइं साति, अप्पेगइया देवा उप्प. तंति-अप्पेगइया देवा णिवयंति, अप्पेगइया देवा परिवयंति अप्पेगइया देवा उप्पयंति, णिवयंति, परिवयंति, अप्पेगइया देवा जलेंति, अप्पेगइया देवा तवंति अप्पेगइया देवा पतवेंति अप्पेगइया देवा जलंति-तवंति पतवंति, अप्पेगइया देवा गज्जेंति, अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति, अप्पेगइया देवा वासंति, अप्पेगइया देवा गज्जंति, विज्जु
જીવાભિગમસૂત્ર