SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1074
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.१२१ देवविमानपृथिव्याः बाहल्यादिकम् १०६१ ज्ञानिनोऽज्ञानिनः ? गौतम ! द्वावपि, त्रीणि ज्ञानानि त्रीण्यज्ञानानि नियमात यावौवे यकाः, अनुत्तरोपपातिका ज्ञानिनो नो अज्ञानिनः त्रीणि ज्ञानानि नियमात्-त्रिविधो योगो, द्विविध उपयोगः, सर्वेषां यावदनुत्तराणाम् सू० ॥१२॥ टीका-'सोहम्मीसाणकप्पेसु विमाणपुढवी केवइयं बाहल्लेणं पनत्ता ? गोयमा ! सत्तावीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पन्नत्ता एवं पुच्छा सणंकुमारमाहिदेसु छव्वीसं जोयणसयाइ” सौधर्मेशानकल्पयोः विमानस्य पृथिवी कियतीकियत्प्रमाणा बाहल्येन प्रज्ञप्ता ? भगवान् ब्रूते-गौतम ! सप्तविंशतिर्योजनशतानि बाहल्येन प्रज्ञप्तानि, एवं सनत्कुमारमाहेन्द्रयोः प्रश्ने षडूविंशतिर्योजनशतानि समाधानम् । 'बंभलंतए पंचवीसं' पञ्चविंशतियोजनशानि बाहल्येन विमानपृथिवी ब्रह्मलान्तकयोः । 'महामुक्कसहस्सारेसु चउवीसं' चतुर्विशतिर्योजनशतानि महा 'सोहम्मीसाण कप्पेसु विमाणपुढवी केवइयं बाहल्लेणं पन्नत्ता' इ० । टीकार्थ-अब गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-हे भदन्त ! सौधर्म और ईशान इन कल्पों में विमान पृथिवी कितनी मोटी कही गई है ? 'गोयमा ! सत्तावीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता' हे गौतम ! सौधर्म और ईशान इन कल्पों में विमान पृथिवी की मोटाई २७ सौ योजन की कही गई है 'एवं पुच्छा' इसी तरह से सनत्कुमार माहेन्द्र आदि कल्पों में विमान पृथिवी कितनी मोटी कही गई है ? ऐसा जब प्रश्न गौतम की तरफ से किया गया तब प्रभु ने उनसे कहा हे गौतम! 'सणंकुमार माहिंदेसु छव्वीसं जोयणसयाई सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पों में विमान पृथिवी २६ सौ योजन की मोटी कही गई है 'बंभलंतए पंचवीसं' ब्रह्मकल्प और लान्तक कल्प में विमान पृथिवी पचीस 'सोहम्मीसाणकप्पेसु विमाणपुढवी केवइयं बाहल्लेणं पुच्छा' त्यादि ટીકાW—હવે ગૌતમસ્વામી પ્રભુશ્રીને એવું પૂછે છે કે-હે ભગવન! સૌધર્મ અને ઇશાન એ કપમાં વિમાન પૃથ્વી કેટલી મોટી કહેવામાં આવેલ छ ? 'गोयमा ! सत्तावीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता' है गौतम ! सौधम અને ઈશાન એ બે કલાના વિમાન પૃથ્વીની મેટાઈ ર૭ સત્યાવીસ સે જન नी एवं पच्छा' मा प्रमाणे सनभा२ अने माउन्द्र विगेरे ४८पामा વિમાન પૃથ્વી કેટલી મોટી કહેવામાં આવેલ છે? આ રીતનો પ્રશ્ન ગૌતમ स्वाभाथे पूछपाथी तेना उत्तरमा प्रमुनीये ४युं गौतम ! 'सणंकुमार माहिंदेसु छध्वीसं जोयणसयाई' सनमा२ भाडेन्द्र नामना ४८पामा विमान ५०वी २६७८वीस सो योननी मोटी वामां आवे छे. 'बंभलंतए पंच वीसं' બ્રહ્મ ક૯પ અને લાન્તક નામના ક૫માં વિમાન પૃથ્વી પચ્ચીસસો જનની જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy