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________________ जीवाभिगमसूत्रे तारारूवे' सर्वाल्पगतयश्चन्द्राः सर्वेभ्यः-शीघ्रगतयस्ताराः अन्ये तु अपेक्षा शीघ्रगतयो मन्दगतयोऽपि ज्ञेयाः। 'एएसि णं भंते ! चंदिम जाव तारारूवाणं कयरे कयरेहितो अप्पड्रिया वा महडिया वा' एतेषां खलु भदन्त ! चन्द्रसूर्यादीनां कतरे के के कस्यापेक्षयाऽल्पर्द्धिका-महर्दिकावेति प्रश्नः ? भगवानाह-'गोयमा ! तारारूपेहितो नक्खत्ता महड्डिया नक्खत्तेहिंतो गहा महिडिया-गहेहिंतो सूरा महडिया सूरेहिंतो चंदा महड्डिया' तारारूपेभ्यो नक्षत्राणि नक्षत्रेभ्यो ग्रहाः, ग्रहेभ्यः सूर्याः सूर्येभ्यश्चन्द्रा मह द्धिका ज्ञेयाः। 'सव्वप्पडिया तारारूवा सव्वमहड्डिया चंदा' सर्वाल्पर्द्धयस्ताराः सर्वमह द्धिकाचन्द्राः, इति सारः ॥ ०११५॥ तारास्वे' हे गौतम ! चन्द्रमा की अपेक्षा सूर्य शीघ्र गति वाला है सूर्य की अपेक्षा ग्रह शीध्रगति वाला है ग्रहों की अपेक्षा नक्षत्र शीघ्र गति वाला है नक्षत्रों की अपेक्षा तारारूप शीध्र गति वाले है सब से अल्पगति वाला चन्द्र है और सबसे शीघ्र गति वाला तारारूप हैं। 'एएसि णं भंते ! चंदिम जाव तारारूवाणं कयरे कयरेहितो अप्पड्डिया वा महिड्डिया वा' हे भदन्त ? इन चन्द्र यावत् तारारूप ज्योतिषी देवों के बीच में कौन किनकी अपेक्षा अल्प ऋद्धि वाला है ? और कौन किनकी अपेक्षा महाऋद्धि वाला है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! तारारूवेहितो नक्खत्ता महडिया' हे गौतम ! तारारूप ज्योतिषीयों की अपेक्षा नक्षत्र महाऋद्धि वाले हैं 'नक्खत्ते हितो गहा महडिया' नक्षत्रों की अपेक्षा ग्रह महाऋद्धि वाले हैं 'गहेहिंतो सूरा महडिया' ग्रहों की अपेक्षा सूर्य महाऋद्धि वाले हैं, 'सूरेहिंतो चंदा महड्डिया' सूर्य की अपेक्षा चन्द्र महाऋद्धि वाले हैं 'सव्वप्पड्डिया ताराશીધગતિ વાળા છે. સૂર્ય કરતાં ગ્રહ શીવ્ર ગતિવાળા છે. ગ્રહો કરતાં નક્ષત્ર શીધ્ર ગતિવાળા છે. નક્ષત્ર કરતાં તારાઓ શીધ્ર ગતિવાળા છે. સૌથી અલ્પ गति 'द्र देव छ. मने सौथी शीघ तिवा ॥२॥ ३५ छे. 'एएसिणं भंते ! चंदिम जाव तारारुवाणं कयरे कयरेहिं तो अप्पढिया वा महड्ढिया वा' હે ભગવન આ ચંદ્ર યાવત્ તારા રૂપ તિષ્ક દેખમાં કણ કેના કરતાં અલ્પ અદ્ધિ વાળા છે? અને કેણ કોના કરતાં મહારૂદ્ધિ વાળા છે ? આ પ્રશ્નના उत्तरमा प्रभुश्री ४ छ -'गोयमा ! तारारूवेहितो! णक्खत्ता महइढिया' हे ગૌતમ ! તારા રૂપ જોતિષ્ક દેવે કરતાં નક્ષત્ર ઘણી જ મેટિઝદ્ધિવાળા છે. 'णक्खत्तेहि तो गहा महइढिया' नक्षत्री ४२तi अंडे। भाटि द्धिवाय छे. 'गहेहितो सूरा महइढिया' घडी ४२तां सूर्य भाटि *द्धिवा छे. 'सूरेहिंतो! चंदा महइढिया' सूर्य ना ४२तां यन्द्र भाटी ऋद्धिा छे. 'सव्वप्पढिया तारारूवा જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006345
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1580
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size84 MB
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