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जीवाभिगमसूत्रे साए कइ देवसाहरसीओ पन्नताओ' बाह्यायां जाताभिधानायां पर्षदि कति देवसाहस्यः प्रज्ञप्ता, 'अभितरियाए परिसाए कइ देविसया पन्नत्ता' आभ्यन्तरिकायां समिताभिधानायां पर्षदि कति देवीशतानि प्रज्ञप्तानि 'मज्झिमियाए परिसाए कइ देविसया पन्नता माध्यमिकायां पर्षदि कति देवीशतानि प्रज्ञप्तानि तथा-'बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पन्नत्ता' बाह्यायां जाताभिधानायां पर्षदि कति देवीशतानि प्रज्ञप्तानीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' हे गौतम ! 'भूयाणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो' भूतानन्दस्य खलु नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य 'अभितरियाए परिसाए' आभ्यन्तरिका यां समिताभिधानायां पर्षदि 'पन्नासं देवसाहस्सीओ पन्नताओ' पञ्चाशदेवसहस्राणि -प्रज्ञप्तानि कथितानि 'मज्झिमियाए परिसाए' माध्यमिकायां पदि 'सहि देवसाहरसीओ मारों का इन्द्र भूतानन्द और यह उत्तर दिशा के नागकुमारों का राजा है 'मज्झिमियाए परिसाए कइ देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' इसकी मध्यमा परिषदा में कितने हजार देव कहे गये है तथा 'बाहिरियाए परिसाए कइदेव साहस्सीओ पण्णत्ता' इसकी बाह्या परिषदा में कितने हजार देव कहे गये है। इसी तरह 'अभितरियाए परिसाए कई देविसया पण्णत्ता १ मज्झिमियाए परिसाए कइ देविसया पण्णत्ता, 'बाहिरियाए परिसाए कइ देवीसया पण्णत्ता' भूतानन्द की आभ्यन्तर परिषदा में कितनी सौ देवियां कही गई है। मध्यमा परिषदा में कितनी सौ देवियां कही गई है ? बाह्या परिषदा में कितनी सौ देवियां कही गई है ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं 'भूयाणंदस्स-नागकुमारिंदस्स-नागकुमाररन्नो अभितरियाए परिसाए पन्नासं देवसहस्सा पन्नत्ता' हे गौतम! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भृतानन्द की आभ्यन्तर परिषदा में ५० हजार देव कहे गये है मध्यम परिषदा में 'सहि देवसाह
से सूतान उत्त२ ६शान नागभारान। २०न छ 'मज्झिमियाए परिसाए कइ देवसाहस्सीओ पन्नताओ' तेन भक्ष्यमा परिषमा 24 हेवे हा छ ? तथा 'बाहिरियाए परिसाए कइ देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' नी माा परिषदामा है। M२ हेव। ४ा छ ? ते प्रमाणे 'अभितरियाए परिसाए देवि सया पण्णता, बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पण्णता' भूताननी माभ्यंतर પરિષદામાં કેટલા સમ દેવિ કહેલ છે ? મધ્યમ પરિષદામાં કેટલા સે દેવિયે કહેલ છે ? અને બાહ્ય પરિષદામાં કેટલા સે દેવિ કહેવામાં આવેલ છે ?
॥ प्रश्नना उत्तरमा प्रमुश्री गौतमस्वामीन ४९ छ 'भूयाणंदस्स नाग कुमारिं दस्स नागकुमाररन्नो अभिंतरियाए परिसाए पन्नास देव सहस्सा पन्नत्ता' हे ગૌતમ ! નાગકુમારેન્દ્ર નાગકુમારરાજ ભૂતાનંદની આત્યંતર પરિષદામાં
જીવાભિગમસૂત્ર