SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 654
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६४२ जीवाभिगमसूत्रे चन्द्रोपराग इति वा, सूर्योपराग इति वा चन्द्रपरिवेष इति वा सूर्यपरिवेष इति वा प्रतिचन्द्र इति वाप्रतिसूर्य इति वा इन्द्रधनुरिति वा उदकमत्स्य इति वा अमोघ इति वा कपिहसितमिति वा प्राचीनवात इति वा प्रतीचीनवात इति वा यावत् शुद्धवात इति वा ग्रामदाह इति वा नगरदाह इति वा यावत् सनिवेशदाह इति वा पाणक्षय जनक्षयकुलक्षयधनक्षयव्यसनभूतानार्या इति वा? नायमर्थःसमर्थः ॥सू०४०॥ टीका- 'अस्थि णं भंते !' इत्यादि, 'अस्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे गं दीवे' अस्ति खलु भदन्त ! एकोरुक द्वीपे खलु द्वीपे 'इंदमहाइ वा इन्द्र मह इति वा तत्र महः प्रतिनियत दिवसभावी उत्सवः इन्द्रमधिकृत्य संपाद्यमान उत्सव इन्द्रमह इति एवमग्रेऽपि स्कन्दोत्सवादयो ज्ञातव्याः । 'खंदमहाइ वा' स्कन्दमह इति वा तत्र स्कन्दः कार्तिकेयस्तस्योत्सव इत्यर्थः 'रुद्दमहाइ वा' रुद्रमह इति वा रुद्रो यक्षाधिपतिस्तस्य महः उत्सवः। 'सिवमहाइ वा' शिवमह इति वा 'वेसमण महाइ वा' वैश्रमणः कुबेर उत्तरदिग्लोकपालस्तस्योत्सवः । 'मुगुंदमहाइ वा' मुकु 'अस्थि णं भंते ! एगोरुय दीवे २, इंद महाइवा'-इत्यादि। टीकार्थ-हे भदन्त ! एकोषक द्वीप में 'इंद महाइवा' इन्द्र मोहत्सव अमुक प्रकार होने वाले उत्सव का इन्द्र महोत्सव नाम है यह जो उत्सव इन्द्र को लक्ष्य करके किया जाता है उसका नाम इन्द्र मह है। इसी तरह से आगे के उत्सव समझ लेना चाहिये 'खंदमहाइ वा कार्तिकेय का नाम स्कन्द है इस स्कन्द को लक्ष्य करके किये गये उत्सव का नाम स्कन्दोत्सव है 'रुद्दमहाइ वा यक्षों के अधिपति का नाम रुद्र है इस रुद्र को लक्षित करके किये गये उत्सव का नाम रुद्रोत्सव है। सिव महाइ वा' शिव नाम महादेव का है इस महादेव-शङ्कर-को लक्षित कर के किये गये उत्सव का नाम शिवोत्सव है 'वेसमण महाए वा' वैश्रमण नाम कुबेर का है यह उत्तर दिशाका एक लोकपाल है इस कुबेर को लक्षित कर होने वाले उत्सव का नाम वैश्रवणोत्सव है अस्थि णं भंते ! एगोरुय दीवे दीवे इंद महाइवा' त्या टी -३ लगवन् मा ३४ वीपमा 'इंद महाइवा' महोत्सव भभु પ્રકારના ઉત્સવનું નામ ઈદ્રમહોત્સવ છે. આ ઉત્સવ ઈદ્રને લક્ષ્ય કરીને કરવામાં આવે છે. એ જ પ્રમાણે આ પછીના ઉત્સના સંબંધમાં પણ સમજી લેવું જોઈએ. 'खंद महाइवा' प्रतियतुं नाम २४६ छ. मा २४४ने देशात ३२वामा भावना। सपर्नु नाम २४४ महोत्सव छे. 'रुद्दमहाइवा' यक्षान। मधिपतिनु નામ રૂદ્ર છે. આ રૂદ્રને ઉદ્દેશીને કરવામાં આવેલા ઉત્સવનું નામ રૂદ્ર મહોત્સવ छ. "सिवमहाइवा' शिवनाम महावनु छ. | महादेव शं४२२ देशीन જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy