________________
जीवाभिगमसूत्रे
३८२
द्विप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः - कथिता इति । भेदद्वयं दर्शयति- 'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा - 'सुहुम पुढवीकाइय एर्गिदिय तिरिक्खजोणिया सूक्ष्मपृथिवीका यि कैकेन्द्रिय तिर्यग्योनिकाः सूक्ष्मत्वं सूक्ष्मनामकर्मोदयात् । 'बायर पुढवीकाइय एजिदिय तिरिक्खजोणिया य' बादर पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिकाथ, तथा चसूक्ष्मबादरभेदेन पृथिवीकायिकाः द्विविधा भवन्तीति । 'से किं तं सुहुम पुढवीकाइय एर्गिदिय तिरिक्खजोणिया' अथ के ते सूक्ष्म पृथिवीकायिकै केन्द्रियतिर्यग्योनिका ? सूक्ष्मपृथिवीकायिकानां कियन्तो भेदाः ! इति प्रश्नः, उत्तरयति - 'सुहुम पुढवीकाइय एर्गिदिय तिरिक्खजोणिया दुबिहा पण्णत्ता' सूक्ष्म पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिका जीवाः द्विविधाः - द्विप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः कथिता इति । 'तं जहा' तथा 'पज्जत सुहमपुढवीकाइय एगिंदिय तिरिक्खजोणिया ' पर्याप्त सूक्ष्म पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिकाः 'अपपृथिवी कायिक एकेन्द्रिय तिर्यञ्च जीव दो प्रकार के होते हैं - 'तं जहा ' जैसे 'सुम पु० एगिदिय०' सूक्ष्म पृथिवी कायिक एकेन्द्रियतिर्यश्च और 'बायर पुढवीकाइयए० ति०' ०' बादर पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय तर्यश्च सूक्ष्म नाम कर्म के उदय वाले सूक्ष्म पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय जीव होते हैं और बादर नाम कर्म के उदय वाले बादर पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय जीव होते हैं । 'से किं तं सुमपु० 'हे भदन्त ! सूक्ष्म पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के होते हैं- - उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'सुहुमपु० एगिंदिय तिरिक्खजो० दुविहा पनत्ता' सूक्ष्म पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय जीव दो प्रकार के होते हैं 'तं जहा' - जैसे- 'पज्जत्तसुदुमपु०' पर्याप्त सूक्ष्मपृथिवी कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक और 'अपज्जत सुहुम पु०' 'अपर्याप्त सूक्ष्म पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक से तं सुहुम ०' इस
पृथ्वी अयि मे ४द्रियवाणा तिर्यय वो मे प्रारना होय छे, 'त' जहा ' ते थे प्रकाश या प्रभा छे. 'सुहुम पु, एगिं दिय' सूक्ष्म पृथ्वी अयि 5 द्रियवाजा तिर्यय मने 'बायर पुढवीकाइय ए. ति.' महर पृथ्वी अयि शो ઇન્દ્રિયવાળાતિય ઇંચ સમ નામકમના ઉદયવાળા સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક એક ઈન્દ્રિયવાળા જીવા હાય છે. અને માદર નામકર્મના ઉદયવાળા ખાદર પૃથ્વીકાયિક એક ઇંદ્રિયવાળા જીવા હોય છે. 'से किं त' सुहुमपु.' हे भगवन् सूक्ष्म पृथ्वी अयि मे द्रियवाजा वो डेंटला प्रभारना होय छे ? या प्रश्नना उत्तरमा प्रभुश्री हे छे 'सुहुम पु. एगिदियतिरिक्ख जो दुविहा पण्णत्ता' सूक्ष्म पृथ्वी अयि ये है द्रिय वाजा थे। ये प्रारना होय छे. 'त' जहा' प्रेम 'पज्जत सुहुम पु. ' पर्यास
જીવાભિગમસૂત્ર