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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.२ सू.१४ नरकावासाना वर्णादि निरूपणम् १८७ णामए अहिमडेइ वा गोमडेइ वा सुणगमडेइ वा मजारमडेइ मणुस्समडेइ वा महिसमडेइ वा मुसगमडेइ वा आसमडेइ वा हत्थिमडेइ वा सीह मडेइ वा वग्घमडेइ वा विगमडेइ दीविय मडेइ वा, मयकुहिय चिरविणटू कुणिम वावण्ण दुब्भिगंधे असुइ विलीणविगय वीभत्थ दरिसणिज्जे किमिजालाउलसं सत्ते । भवे एयारूवे सिया ? णो इणट्रे समटे, गोयमा! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए गरगा एत्तो अणि?तरगा चेव अकंत तरगा चेव जाव अमणामतरगा चेव गंधेणं पन्नत्ता, एवं जाव अहे सत्तमाए पुढवीए ॥ इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए णरया केरिसया फासेणं पन्नत्ता ? गोयमा! से जहा णामए असिपत्तेइ वा खुरपत्तेइ वा कलंबचीरिया पत्तेइ वा सत्तग्गेइ वा कुंतग्गेइ वा तोमरग्गेइ वा नारायग्गेइ वा सूलग्गेइ वा लउलग्गेइ वा भिंडिपालग्गेइ वा सूचिकालावेइ वा कवियच्छ्वइ वा विंचुय कंटएइ वा इंगालेइ वा जालेइ वा मुम्मुरेइ वा अचित्ति वा अलाएइ वा सुद्धागणीइ वा, भवेएया रूवे सिया ? णो इणटे समटे, गोयमा ! इमीसे गं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा एत्तो अणिटुतरा चेव जाव अमणामतरगा चेव फासेणं पन्नत्ता । एवं जाव अहे सत्तमाए पुढवीए ॥सू०१४॥ छाया-एतस्यां खलु भदन्त ! रत्नप्रभायां पृथिव्यां नरकाः कीदृशा वर्णन प्रज्ञप्ताः ? कालाः कालावभासाः गम्भीररोमहर्षाः भीमा उत्त्रासनकाः परमकृष्णा वर्णेन प्रज्ञप्ताः। एवं यावदधः सप्तम्याम् । एतस्यां खलु रत्नप्रभायां पृथिव्याम् । नरकाः कीदृशा गन्धेन प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! स यथा नामकः अहिमृत इति वागोमृत इति वा शुनकमृत इति वा मार्जारमृत इति वा मनुष्यमृत इति वा महिषमृत इति वा मूषकमृत इति वा अश्वमृत इति वा हस्तिमृत इति वा सिंहमृत इति वा व्याघ्रमृत इति वा वृकमृत इति वा द्वीपिकमृत इति वा मृत कुथित જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
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