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________________ ६१६ जीवाभिगमसूत्रे ईशान कल्पे ये देवपुरुषा स्ते असंख्येयगुणा अधिका भवन्ति एते सर्वे यथोत्तरमसंख्यातगुणा इति । 'ईसाणे कप्पे देवत्थियाओ संखोज्जगुणाओ' ईशानकल्पदेवपुरुषापेक्षया ईशान कल्पदेवस्त्रियः संख्यातगुणा अधिका भवन्ति द्वात्रिंशद्गुणत्वात् 'सोधम्मे कप्पे देवपुरिसा से खेज्जगुणा ईशान देव्यपेक्षया सौधर्मकल्पदेवपुरुषाः संख्यातगुणा अधिका भवन्ति द्वात्रिंशत्गुणत्वात् 'सोहम्मे ard देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' सौधर्मदेवपुरुषापेक्षया सौधर्मकल्पदेवस्त्रियः संख्येयगुणा भवन्ति द्वात्रिंशद्गुणत्वात् “भवणवासि देवपुरिसा असं खेज्जगुणा' सौधर्मकल्पदेव्यपेक्षया भवनवासिदेवपुरुषा असंख्यातगुणाधिका भवन्तीति । 'भवणबासि देवत्थियाओ संखेज्जगुणाओ' भवन वासिदेवस्त्रियः संख्येयगुणाधिका भवन्ति द्वात्रियद्गुणत्वात् " इमी से रयणप्पभा पुढवीए णेहइया असंखेज्जगुणा' भवनवासिदेव्यपेक्षया एतस्यां रत्नप्रभा पृथिव्यां नैरयिकनपुंसका असंख्येयगुणा धिका भवन्तीति " वानमंतर देव पुरिसा असंखेज्जगुणा' रत्नप्रभापृथिवीनार कनपुंसकापेक्षा वान अपेक्षा ईशान कल्प में जो देवपुरुष हैं वे असंख्यात गुणे अधिक हैं यहां पर्यन्त असंख्यातगुणे क हैं । 'ईसाणे कप्पे देवित्थयाओ संखेज्जगुणाओ' ईशानकल्प के देव पुरुषों की अपेक्षा इशान कल्प में देवस्त्रियां संख्यात गुणी अधिक है । क्योंकि देवों की अपेक्षा देवस्त्रियों का प्रमाण बत्तीस गुना अधिक कहा गया है । “सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा' इशानकल्प की देवस्त्रियों की अपेक्षा सौधर्मकल्प के देवपुरुष संख्यातगुणे अधिक हैं । " सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ" सौधर्मकल्प के देवपुरुषों की अपेक्षा सौधर्म कल्प में देव स्त्रियां संख्यात गुणी अधिक है 'भवणवासि देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' सौधर्मकल्पकी देवियों की अपेक्षा भवनवासि देवपुरुष असंख्यात गुणे अधिक हैं । 'भवनवासि वेवित्थियाओ संखज्जगुणा ' भवनवासी देवों की अपेक्षा भवनवासि देवस्त्रियां संख्यात गुणी अधिक हैं । इसे रयणप्पभापुढवीए णेरइया असंखेज्जगुणा" भवनवासि देवियों की अपेक्षा इस रत्नप्रभा पृथिवीके जो 'नैरयिकनपुंसक हैं वे असंख्यात गुणे अधिक हैं “वाणमंतर देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' પૃથ્વીના નૈયિક નપુંસકા કરતાં ઇશાન કલ્પના દેવપુરૂષ અસંખ્યાતગણા વધારે છે. આ કથન पर्यन्त असं ज्यातशानुं स्थन छे. “ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ" शान૯૫ના દેવપુરૂષો કરતાં ઇશાનકલ્પની દેવસ્ત્રિયા-દેવીયેા સંખ્યાતગણી વધારે છે. કેમકે—દેવાકરતા हेवीयानु प्रमाणु मत्रीस जागु वधारे एडेस छे “सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा शान मुदपनी हेवीये। रतां सौधर्मं उदयना देव३षा संज्यातगा वधारे छे सोहम्मे कप्पे देवि - त्थियाओ संखेज्जगुणाओ' सौधर्म उदयना देव३षा रतां सौधर्म अपनी हेवस्त्रिया देवीयो सध्यातराणी वधारे छे. 'भवणवासिदेवपुरिसा असं खेज्जगुणा" सौधर्म अपनी हेवियां रतां लवनवासी देवपुरषो असंख्यातगणा वधारे छे. "भवणबासि देवित्थियाओ संखेज्ज गुणाओ" लवनवासी देवापुरतां लवनवासी देवोनी स्त्रियो-- देवीयो संख्यातगाली वधारे छे. જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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