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________________ जीवाभिगमसूत्रे ? वा विशेषाधिका वेति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोमया' इत्यादि, 'गोमया' हे गौतम : ' सव्वत्थोवा अंतरदीव अम्मभूमिगमणुस्सित्थीओ' सर्वाभ्यः स्त्रीभ्यः स्तोका अन्तरद्वीपका कर्मभूमिकमनुष्यस्त्रीयो भवन्ति 'देवकुरूत्तरकुरु अकम्मभूमिगमणुस्सित्थोओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ' देवकुरूत्तरकुर्वकर्म भूमिक मनुष्य स्त्रियो द्वय्योऽपि तुल्याः, अन्तरद्वीपकस्त्र्यपेक्षया संख्यातगुणा अधिका भवन्ति, तथा - 'हरिवासरम्म गवास कम्म भूमिगमणुfteratओ दो व तुलाओ संखेज्जगुणाओ' हरिवर्षरम्य कवर्षाकर्मभूमिकमनुष्य स्त्रियो द्वय्योऽपि तुल्याः पूर्वापेक्षया संख्येयगुणा अधिका भवन्ति 'हेमवय एरण्णवयवास कम्मभूमिग मणुस्सित्थीओ दो वि सखेज्जगुणाओ' हैमवतैरण्यवतवर्षाकर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियो द्वय्योऽपि हरिवर्षरम्यकवर्षक स्त्र्यपेक्षया संख्येयगुणा अधिका भवन्तीति 'भर हेरवयवासकम्मभूमिस्सित्थओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ' भरतैरवतवर्ष कर्म भूमिक मनुष्य स्त्रियो ४५० इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं- " गोमया ! सव्वत्थोवा अंतरदीवग कम्मभूमिगमणुस्सित्थीओ" सब से कम अन्तरद्वीप रूप अकर्मभूमिकी मनुष्य स्त्रियां हैं "देवकुरूत्तरकुरुअकम्म भूमिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ' देवकुरु और उत्तर कुरुरूप अकर्मभूमिकी मनुष्यस्त्रियां अन्तरद्वीप की मनुष्य स्त्रियों की अपेक्षा संख्यात गुणी अधिक है । स्वक्षेत्र की अपेक्षा दोनों तुल्य है "हरि - वासरम्मगवास कम्ममू मिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ" हरिवर्ष और रम्यक वर्ष रूप अकर्म भूमिकी मनुष्य स्त्रीयां देवकुरु और उत्तरकुरु की मनुष्य स्त्रियों की अपेक्षा परस्पर तुल्य होती हुई संख्यात गुणी अधिक हैं । "हेमवय एरण्णवयवासअम्मभूमिमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ' हैमवत और ऐरण्यवत रूप अकर्मभूमिकी मनुष्यस्त्रियाँ परस्पर दोनों समान हैं किन्तु हरिवर्ष और रम्यक वर्ष की मनुष्यस्त्रियों से संख्यात गुणी अधिक हैं । " भर हेरवयवासकम्म भूमिगमणुस्सित्थीओ दो मा प्रश्नना उत्तरमा प्रभु गौतमस्वामीने हे छे – “गोयमा ! सव्वत्थोवा अंतरदीअम्मभूमिगमणुसित्थीओ" सौथी मोछी आंतरद्वीप ३५ सम्म लूमिनी मनुष्य स्त्रियो छे. "देवकुरूत्तरकुरु अकम्मभूमिग मणुस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ” देवકુરૂ અને ઉત્તર કુરૂ રૂપ અકમભૂમિની મનુષ્ય શ્રિયા અ ંતરદ્વીપની મનુષ્ય સ્ત્રિયાકરતાં संख्यातगणी वधारे छे. पोताना क्षेत्रनी अपेक्षा थे मन्ने समान छे. “हरोवासरम्मगवास कम्मभूमि मस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ” हरिवर्ष भने रम्य वर्ष રૂપ અકમ ભૂમિની મનુષ્ય શ્રિયા દેવકુરૂ અને ઉત્તરકુરૂની મનુષ્ય શ્રિયા કરતાં પરસ્પર समान छे. याने संख्यातजणी वधारे छे. 'हेमवयपरण्णवयवास अकुम्भूमिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ" हैभवत मने औरएयवत भूमिनी मनुष्य स्त्रियो पर२५२ બન્ને સમાન છે, પરંતુ હરિવ અને રમ્યકવની મનુષ્ય શ્રિયાથી સખ્યાત ગણી વધારે छे. "भरहेरवयवासकम्मभूमिगमणुस्सित्थीओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ” पूर्व - જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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