SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 409
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३९६ जीवाभिगमसूत्रे सेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाई' उत्कर्षेण अर्द्धपञ्चमानि-सार्द्धानि चत्वारि पल्योपमानि स्थिति भवति भवनवासिदेवस्त्रीणाम् इदञ्च भवनवासिविशेषासुरकुमारस्त्रोरधिकृत्य ज्ञातव्यमिति 'एवं असुरकुमारभवनवासिदेवित्थीए' एवम् सामान्यतो भवनवासिदेवस्त्रीवदेव असुरकुमार भवनवासिदेवस्त्रियाअपि जधन्येन दशवर्षसहस्राणि स्थिति रुत्कर्षतः सार्द्धचत्वारि पल्योपमानि स्थिति भवतीति भावः । 'नागकुमारभवणवासिदेवित्थीए जहन्नेणं दसवाससहस्साई' नागकुमारभवनवासिदेवस्त्रियाः स्थिति धन्येन दशवर्षसहस्राणि भवति, 'उक्कोसेणं देणं पलिओवम' उत्कर्षेण देशोनं देशतो हीनं पल्योपमप्रमाणा स्थितिर्भवतीति । 'एवं सेसाण वि जाव थणियकुमाराणं' एवं शेषाणामपि यावत् स्तनितकुमाराणाम् , नागकुमारभवनवासि देवस्तीवदेव शेषाणाम् , सुवर्णविद्यु-दग्नि-द्वीपो-दधि-दिग्-वायु-स्तनितकुमारभवनवासिदेवस्त्रीणामपि जघन्येन दशवर्षसहस्राणि स्थितिर्भवति, उत्कर्षतो देशोनपल्योपमप्रमाणा स्थिति भवतीति भावः ॥ "वाणमंतरीणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई' वानव्यन्तरीणां-वानव्यन्तर देव दसवाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाई" हे गौतम ! भवनवासी देव स्त्रियोंकी स्थितिका काल जघन्यसे तो दस हजार वर्षका कहा गया है और उत्कृष्ट से साढा चार पल्योपम का कहा गया है । यह स्थितिकाल भवनपति के भेद जो असुर कुमार है सो उनकी स्त्रियों को लेकर कहा गया है । "नागकुमार भवणवासिदेवित्थीणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवम" नागकुमार भवनवासी देवों की स्त्रियों की भी स्थिति जधन्य से दस हजार वर्ष की हैं और उत्कृष्ट से देशोन कुछ कम एक पल्योपम की है "एवं सेसाण वि जाव थणियकुमाराणं " इसी प्रकार से सुवर्णकुमार विद्युत्कुमार अग्निकुमार द्वीपकुमार उदधिकुमार दिक्कुमार वायुकुमार और स्तनितकुमार, इन भवनवासी देवों के स्त्रियों की स्थिति जघन्य से दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट से कुछ कम प्रश्नमा उत्तरमा प्रभु गौतम स्वामीन हे छ है- "गोयमा! जहण्णेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाइं" गौतम! भवनवासी स्त्रियोनी स्थितिवन्यथी તે દશ હજાર વર્ષની કહેલ છે, અને ઉત્કૃષ્ટથી સાડાચાર પલ્યોપમની કહી છે. આ સ્થિતિકાળ ભવનપતિના ભેદમાં જે અસુરકુમાર ભવનપતિ છે, તેઓની સ્ત્રિની અપેક્ષાથી કહેવામાં मावर छ. "नागकुमारभवणवासिदेवित्थीण जहन्नेणं दसवाससस्साई उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवमाई” नागभार वनवासी हेवोनी स्त्रियोनी स्थिति धन्यथा शहर वर्षनी छ, भने उत्कृष्टथी शान-४ माछी से ५८ये।५मनी छ “एवं सेसाण वि जाव थणियकुमाराणं' 22 प्रभारी सुवर्ण भा२ विधुभा२, शनिमार, दीपभा२, ઉદધિકુમાર, દિશાકુમાર, વાયુકુમાર અને સ્વનિતકુમાર આટલા ભવનવાસી દેવાની શ્વિની સ્થિતિ જઘન્યથી દસ હજાર વર્ષની અને ઉત્કૃષ્ટથી કંઈક ઓછી એક પલ્યોપમની છે. જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy