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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २ त्रिविधप्रतिपत्तिनिरूपणम् ३६३ पुरुषा नपुंसकाः, स्त्रीरूपः प्रथमो मेदः, पुरुषरूपो द्वितीयो भेदः, नपुंसकरूपश्च तृतीयो भेदः । तत्र या स्त्रीवेदोदययुक्ता स्तनादि स्त्रीचिह्नपरिकलिता स्त्री । पुरुषवेदोदययुक्तः श्मश्रुप्रभृतिचिह्नोपेतः पुरुषः। स्त्रीपुरुषोभयचिन्हभावाभावयुक्तं नपुंसकम् । तत्र यथोद्देशं निर्देश इतिन्यायात् प्रथमतः स्त्रीवक्तव्यतामाह-से कि तं' इत्यादि, 'से किं तं इत्थीओ' अथ कास्ताः स्त्रियः, स्त्रीणां कियन्तो भेदा भवन्तीति प्रश्नः, उत्तरयति-'इत्थीओ तिविहाओ पन्नत्ताओ' स्त्रियस्त्रिविधाः-त्रिप्रकारकाः प्रज्ञप्ता:-कथिताः 'तं जहा' तद्यथा-'तिरिक्खजोणित्थीओ' तिर्यग् योनिकस्त्रियः 'मणुस्सित्थीओ' मनुष्यस्त्रियः 'देवित्थीयो' देवस्त्रियः, तथा च तिर्यङ् मनुष्य देवस्त्रोभेदात् स्त्रियः स्त्रिप्रकारिका भवन्तीति ॥ 'से किं तं तिरिक्खजोणित्थीओ' अथ कास्ता स्तिर्यगूयोनिकस्त्रियः तिर्यगूयोनिकस्त्रीणां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः, उत्तरयति-'तिरिक्ख प्रकार के हैं। इनमें जिसके स्त्रीवेद का उदय होता है और इसी से जो स्तनादि स्त्री चिह्नों से युक्त होती है वे स्त्री हैं पुरुष वेद के उदय से जिनके श्मश्रु-दाढी-आदि चिह्न होते हैं वह पुरुष है जो स्त्री और पुरुष इन दोनों के चिन्हों से रहित हो स्तन आदि तथा श्मश्रु-दाढी आदि चिन्हों के सत्ता असत्ता से युक्त होता है वह नपुंसक है। उद्देशके अनुसार निर्देश होता है इस नियम के अनुसार सूत्रकार अब स्त्री के सम्बन्ध में अपनी वक्तव्यता प्रकट करते हैं ---इसमें गौतमने प्रभु से ऐसा पूछा है-"से किं तं इत्थीओ हे भदन्त ! स्त्रियां कितने प्रकार की कही गई हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-"इत्थीओ तिविहाओ पन्नत्ताओ" हे गौतम ! स्त्रियां तीन प्रकार की कही गई हैं "तं जहा" जैसे "तिरिक्खजोणित्थीओ मणुस्सित्थीओ देवित्थीओ” तिर्यग्योनिकस्त्री, मनुष्यस्त्री, और देवस्त्री इस प्रकार तियञ्च मनुष्य और देव की स्त्रियों केभेद से स्त्रियां तीन प्रकार की कही हैं। "से कि ત્રણ પ્રકારના છે તેમાં જેઓને સ્ત્રી વેદને ઉદય થાય છે અને તેથી જ જેઓ સ્ત્રી ચિહ્નોથી યુક્ત હોય છે, તે સ્ત્રી કહેવાય છે. પુરૂષદના ઉદયથી જેઓને દાઢી વગેરે ચિહ્યો હોય છે, તે પુરૂષ કહેવાય છે જેમાં સ્ત્રી અને પુરૂષ એ બન્નેના દાઢી વિગેરે ચિહ્નોના ભાવાભાવસત્તા અસત્તાથી યુકત હોય છે તે નપુંસક છે. ઉદ્દેશાઓ પ્રમાણે નિર્દેશ કરવામાં આવે છે. આ નિયમ અનુસાર સૂત્રકાર હવે સ્ત્રીના સંબંધમાં પોતાનું કથન પ્રગટ કરે છે. તેમાં ગૌતમસ્વામીએ પ્રભુને એવું પૂછયું छ-"से कि तं इत्थीओ" सावन खिये। डेटा प्रारनी डाभां मावस छ १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रभु गौतम स्वामीन ४ छ है-"इत्थीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ"है गौतम! स्त्रिया प्रारनी वामां मावस छ. "तं जहा" ते मा प्रमाणे छ.-"तिरिक्खजोणित्थीओ, मणुस्सित्थीओ, देवित्थीओ" तिय योनि स्त्री, मनुष्य स्त्री, मन हेवस्त्री माशते तिय"य, मनुष्य मन हेवनी खियाना सेहथी खिये! ९ प्रसारनी ४ी छ. " से कि त तिरिक्खजोणिस्थीओ" हे समपन् तिय योनि लियो । प्रा२नी छ ? "गोयमा જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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