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________________ www १४२ जीवाभिगमसूत्रे समवहतच्यवनगत्यागतिद्वारपर्यन्तं सर्वमपि तदेव-सूक्ष्मपृथिवीकायिकवदेव ज्ञातव्यम् । कियत्पर्यन्तं सूक्ष्मपृथिवीकायिकप्रकरणं वक्तव्यं तत्राह-'जाव' इत्यादि, यावत् द्विगतिकाःद्वयागतिकाः परीताः प्रत्येकशरीरिणोऽसंख्याताः प्रज्ञप्ताः-कथिता इति पर्यन्तम् । 'से तं सुहुम आउक्काइया' ते एते सूक्ष्मा कायिकाः शरीरादि गत्यागतिद्वारान्तद्वारैर्विविच्य कथिता इति ।। सूक्ष्माप्कायिकान्निरूप्य बादराप्कायिकान्निरूपयितुं प्रश्नयन्नाह-'से कि तं' इत्यादि, 'से किं तं बायरआउक्काइया' अथ के ते बादराप्कायिकाः बादरनामकर्मोदयात् बादरास्ते कियन्त इति प्रश्नः, उत्तरयति-बायर आउक्काइया अणेगविहा पन्नत्ता' बादराप्कायिका १६, उपयोग १७, आहार १८, उपपात १९, स्थिति २०, समवहत २१, च्यवन २२, गत्यागति, इन द्वारों सम्बन्धी कथन जैसा सूक्ष्म पृथिवीकायिकों के प्रकरण में कहा गया है वैसा ही इनके सम्बन्ध में भी कहलेना चाहिये, यही बात "सेसं तं चेव जाव दुगइया दु आगइया परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता' इस सूत्र द्वारा प्रकट की गई है कि संस्थान द्वार से अतिरिक्त और सब अवगाहनादि द्वारगत यहां सूक्ष्मपृथिवीकायिकप्रकरण के जैसे ही है। ये भी द्विगतिक और द्विआगतिक होते हैं । प्रत्येक शरीरी असंख्यात होते हैं । 'सेतं सुहुम आउक्काइया' इस प्राकर से सूक्ष्म अप्कायिक जीवों का यह कथन समाप्त हुआ। __ सूक्ष्म अप्कायिक जीवों का निरूपण करके अब बादर अप्कायिक जीवों का निरूपण सूत्र कार करते हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'से किं तं बादरआउक्काइया' हे भदन्त ! बादर नामकर्मोदयवाले वे बादर अप्कायिक जीव कितने प्रकार के हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'बायर आउक्काइया अणेगविहा पन्नत्ता' हे गौतम ? बादर अप्का૧૮, સમવહત ૧૯, ચ્યવન ૨૦ ગત્યાગતિ ૨૧ આ દ્વારા સંબંધી કથન સૂમપૃથ્વીકાયિકો ના પ્રકરણમાં જે પ્રમાણે કહેલ છે, એ જ પ્રમાણેનું કથન આ અપૂકેયિક સૂક્ષ્મ જીવાના समयमा ५५ सभल से मेल पात-'सेसं तं चेव जाव दुगइया दुआगइया परित्ता असंखेज्जा पन्नता" या सूत्र ५४ा ४३a छे. 3-संस्थान द्वारना थन सिवाय माहीना અવગાહના વિગેરે તમામ દ્વાર સંબંધી કથન અહિયાં સૂમપૃથ્વીકાયિકેના પ્રકરણમાં કહ્યા અનુસાર જ છે, આ સૂક્ષમ અપ્રકાયિક જીવપણ બે ગતિમાંથી આવવા વાળા હોય છે. प्रत्ये शरीरी मसभ्यात हाय छे. "से तं सुहम आउक्काइया' मा प्रभारी सूक्ष्म અપૂકાયિક જીવોનું કથન છે. સૂક્ષમ અષ્કાયિક જીવોનું નિરૂપણ કરીને હવે બાદર અપ્લાયિક જીવોનું નિરૂપણ સૂત્રકાર ४३ छ -मामा गौतम स्वामी प्रभुने मे पूछयु छ -“से किं तं बादर आउ. क्काइया" हे भवन् माह नाम हयात माह२ मयि । टस प्रारना छ ? प्रश्न त्तरमा प्रभु ४ छ -"बायर आउक्काइया अणेगविहा पण्णता हे જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006343
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages656
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size37 MB
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