________________
३९२
राजप्रश्नीयसूत्रे जागरिकां जागरिष्यतः, एकादशे दिवसे व्यतिक्रान्ते, संप्राप्ते द्वादशाहे दिवसे, निवृत्ते अशुचिजातकर्मकरणे चोक्षे संमार्जितोपलिप्ते (गृहे) विपुलम् अशनपानखाद्यस्वाद्यम् उपस्कारयिष्यतः, मित्रज्ञातिनिजकस्वजनसम्बन्धिपरिजनम् आमन्न्य जो कि-पुत्र जन्मोत्सव पर की जाती है-करेंगे, “छठे दिवसे जागरिय जागरि संति-" छठे दिन रात्रि जागरणरूप किया करेंगे। “एक्कारसमे दिवसे वीइक्व से संपत्ते बारसाहे दिवसे णिन्विते असुइ जायकम्मकरणे-" ग्यारहवां दिन जब व्यतीत हो जावेगा. और-१२-वों दिन जब प्रारम्भ होगा तब उस दिन जन्म सम्बन्धी अशुचिता की निवृत्ति हो चुकने के बाद-“चोक्खे समज्जि
ओवलित्ते विउल असण पाण खाइम साइमं उवक्खडाविस्संति-" गृह को शुद्धि क्रिया करेंगे। पहले उस वे सम्मार्जनी-बुहारी से कूड़ा-कचरा निकाल कर साफ करे गे और फिर उसे गोमय-आदि से लीपे-पोते करेंगे। इस प्रकार शद्धिक्रिया हो जाने पर फिर वे अशन-पान-खाद्य, एवं-स्वाद्यरूप चार प्रकार के आहार को पकावेंगे-“मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणं आमंतेत्ता, तओ पच्छा व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता-" इसके बाद वे मित्रजनों को ज्ञाति के जनों को-मातापिता आदिकों को, अपने पुत्रादिकों को. पितव्यादिक स्वजनों को स्वश्वशुर-पुत्रश्वशुर आदिको दासी-दास आदिरूप परिजनों को आमन्त्रित करेंगे, फिर-स्नानकर बलिकर्म-काक आदि को अन्न पुत्र मोत्सव समये ४२वामां आवे छे ४२शे, “छठे दिवसे जागरिय जागरिसंति" ७४ हिवसे रात्रि ||२९५ ४२शे. “एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते संपत्ते बारसाहे दिवसे णिव्वित्ते असुइ जायकम्म करणे" ज्या२। हिवस न्यारे पूरी थरी અને બારમે દિવસ પ્રારંભ થશે ત્યારે તે દિવસે જન્મ સંબંધી અશુચિતાની નિવૃત્તિ थ नशे ते पछी "चोक्खे समज्जिओवलित्ते विउलअसणपाणखाइम साइम उवक्खडा विस्संति' धरने शुद्ध ४२वानां या ७२. पहा तसा સમ્માર્જની-સાવરણીથી કચરો સાફ કરશે અને પછી તેને ગોમય વગેરેથી લીપીને સ્વચ્છ બનાવશે. આ પ્રમાણે શુદ્ધિ ક્રિયા થઈ જવા બાદ પછી તે અશન, પાન, माध भने स्वाध३५ या२ प्र४।२ना माहाराने मनावशे. मित्तणाइ पियग सयण संबंधि परिजणं आम तेत्ता, तओ पच्छा व्हाया कयवलिकम्मा कय कोउय मंगल पायच्छित्ता" त्या२ पछी तेया मित्रानाने ज्ञातिनाने, मातापिता वगैरेने, पाताना પુત્રાદિકને, પિતૃવ્યાદિક સ્વજનેને, સ્વશુર-પુત્ર-વસુર વગેરેને, દાસી દાસ વગેરે પરિજનોને આમંત્રિત કરશે. પછી સ્નાન કરીને બલિકર્મ-કાગડા વગેરે પક્ષીઓને अन्न वगेरेना, मा माशे. अतु: म प्रायश्चित्त ४२शे. सुद्धप्पावेसाई
શ્રી રાજપ્રશ્રીય સૂત્ર : ૦૨