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________________ ३५४ राजप्रश्नीयसूत्रे पुफिए फलिए हरिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अईव उवसोभेमाणे चिटइ, तया णं वणसंडे रमणिजे भवइ, जया णं वणसडे नो पत्तिए नो पुरिफए नो फलिए नो हरिए नो हरियगरेरिजमाणे णो सिरीए अईव उवसोमेमाणे चिटइ जया णं जुन्ने झडे परिसडियपंड्डपत्ते सुक्रुक्खे इव मिलायमाणे चिट्टइ तयाणं वणसंडे अरमणिज्जे भवइ १। जया णं णटुसाला वि गिज्जइ वाइज्जइ नच्चिजइ हासज्जइ रमिजइ तयाणं णसाला रमणिज्जा भवइ, जया णं नदृसाला णो गिजइ जाव णो रमिज्जइ, तया णं णसाला अरमणिजा भवइ २ । जया णं इक्खुवाडे छिज्जइ भिज्जइ पीलिजइ खज्जइ पिज्जइ दिजइ तया गं इक्खुवाडे रमणि जे भवइ, जया णं इक्खुवाडे णो छिज्जइ जाव तया इक्खुवाडे अरमणिज्जे भवइ ३, जयाणं खलवाडे उच्छ्रब्भइ मलिज्जइ खज्जइ दिज्जइ तया णं खलवाड' रमणिज्जे भवइ, जयाणं खलवाडे नो इच्छुब्भइ जाव अरमणिज्जे भवइ ४ । से तेण?णं पएसी! एवं वुच्चइ मा गं तुम पएसी! पुटिव रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविजासि जहा वणसंडेइ वा जाव खलवाडइ वा ॥ सू०१५९॥ छाया-ततः खलु केशिकुमारश्रमणः प्रदेशिराजमेवमवादीत-मा खलु त्वं प्रदेशिन ! पूर्व रमणीयो भूत्वा पश्चाद् अरमणीयो भवेः, यथा स वनषण्ड इति "तए णं केसीकुमारसमणे-" इत्यादि-॥ सू. १५९ ॥ मूलार्थ-"तए णं-" इसके बाद "केसी कुमारसमणे-" केशी कुमारश्रमणने पएसी रायं एवं वयासी-" प्रदेशी राजा से ऐसा कहा-“मा णं तुमं पएसी ? सूत्रार्थ-"तए ण केसीकुमारसमणे' इत्यादि ॥ सू..१५९ ॥ भूसाथ-"तएण" त्यार पछी "केसीकुमारसमणे" अशी कुमार श्रभो "पएसी राय एवं वयासी" प्रदेशी ने मा प्रभारी ४-"मा ण तुमपएसी ! पुच्चि શ્રી રાજપ્રક્ષીય સૂત્ર: ૦૨
SR No.006342
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1966
Total Pages489
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size27 MB
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