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________________ ५९० राजप्रश्नीयसूत्रे अप्पेगइया देवा तिवई छिदंति अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति, अप्पेगइया देवा हस्थिगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगइया देवा रहघणघणाइयं करेंति अप्पेगइया देवा हयहेसियहत्थिगुलगुलाइय-रहघणघणाइयं करेंति, अप्पेगइया देवा उच्छलेंति, अप्पेगइया देवा पोच्छलेंति, अप्पेगइया देवा उकिट्टियं करेंति, अप्पेगइया देवा उच्छले ति, पोच्छले ति, अप्पेगइया देवा तिन्नि वि, अप्पेयइया देवा ओवयंति, अप्पेगइया देवा परिवयंति, अप्पेगइया देवा तिन्नि वि, अप्पेगइया देवा सीहनायं करेंति, अप्पेगइया देवा ददश्यं करेंति, अप्पेगइया देवा भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगइया देवा तिन्नि वि, अप्पेगइया देवा गज्जंति अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति, अप्पेगइया देवा वासं वासंति, अप्पेगइया देवा तिन्नि वि करेंति, अपपेगइगा देवा जलंति, अपपेगइया देवा तवंति, अपपेगइया देवा पतवें ति, अपपेगइया देवा तिन्नि वि, अप्पेगइया देवा हकारेंति, अप्पेगइया देवा थुकारेंति, अप्पेगइया देवा धक्कारेंति, अप्पेगइया देवा साइं साइं नामाई साहति, अप्पेगइया देवा चत्तारि वि, अप्पेगइया देवा देवसंनिवार्य करेंति, अप्पेगइया देवा देवुज्जोयं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा देवकहकहगं करेंति अप्पेगइया देवा देवदुहदुहयं करेंति, अप्पेगइया देवा चेलुक्खेवं करेंति, अपपेगइया देवा देवसन्निवायं देवुजोयं देवुकलियं देवकहकहगं देवदुहदुहगं चेलुक्खेवं करेंति अपपेगइया देवा उपपलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया, अप्पेगइया देवा कलहत्थ गया जाव धूवकडुच्छयहत्थगया हट्टतुट्ट जाव-हियया सव्वओ समंता आहावंति परिघावंति ॥ सू० ८७ ॥ શ્રી રાજપ્રશ્રીય સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006341
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1990
Total Pages718
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size39 MB
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