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________________ सुबोधिनी टीका. सू. ० ८७ सूर्याभविमानस्य देवकृत सज्जीकरणादिवर्णनम् विमाण कालगुरुपवरकुंदुरुक्क तुरुक्क ध्रुवमघमघंत गधूडूयाभिरामं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं सुगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेंति, अप्पेगइया देवा हिरण्णवासं वासंति, सुवण्णवासं वासंति, रययवासं वासंति, वइरवासं वासंति, पुष्कवासं वासंति, फलवासं वासंति, मल्लवासं वासंति, गंधवासं वासंति, चुण्णवासं वासंति, आभरणवासं वासंति, अप्पेगइया देवा हिरण्णविहिं भाएंति, एवंसुवन्नविहिं भाएंति, रयणविहिं पुप्फविहिं० फलविहिं० मल्लविहिं० चुण्णविहिं० वत्थविर्हि, ० गंधविहिं० तत्थ अप्पेगइया देवा आभरणविहिं भाएंति, अप्पेगइया देवा चउव्विहं वाइतं वाइंति-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चउव्विहं गेयं गायति, तं जहाउक्खित्तायं पायत्तायं मंदायं रोइयावसाणं, अप्पेगइया देवा दुयं विहिं वदति, अप्पेगइया देवा विलंबियणहविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया देवा दुयविलंबियं णट्टविहिं उवदंसेंति, एवं अप्पेगइया देवा अंचियं नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइगा देवा आरभडं भसोलं आरभडभसोलं उप्पायनिवायपवत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतणामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति अप्पेगइया देवा चउन्विहं अभिणयं अभिणयंति, तं जहा - दितियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगअतो मज्झावसाणियं अप्पेगइया देवा बुक्कारेंति अप्पेगइया देवा पीर्णेति अप्पेगइया लासेंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति, अपपेगइया देवा विणंति तंडवेंति, अपूपेगइया देवा वग्र्गति अप्फोडेंति, अप्पेगइया देवा अप्फोडेंति दग्गंति શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર : ૦૧ ५८९
SR No.006341
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1990
Total Pages718
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size39 MB
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