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राजप्रश्नीयसूत्रे तेषां खलु तोरणानां द्वे द्वे पद्मलते यावत् श्यामलतेनित्यं कुसुमिते यावत् सर्वरत्नमये पुरतः अच्छे यावत् प्रतिरूपे। तेषां खलु तोरणानां पुरतो द्वौ द्वौ दिक्सौवस्तिकौ प्रज्ञप्तौ सर्वरत्नमयौ अच्छौ यावत् प्रतिरूपौ । तेषां खलु तोरणानां पुरतो द्वौ द्वौ चन्दनकलशौ प्रज्ञप्तौ, ते खलु चन्दनकलशा गजसंघाट-हाथीका युग्म दो दो नग्युग्म, दो दो किन्नर युग्म दोदो किंपुरुष युग्म, दो दो महोरगयुग्म, दो दो गन्धर्वयुग्म, दो दो वृषभयुग्म हैं ये सब सर्वात्मना रत्नमय हैं, निर्मल हैं यावत् प्रतिरूप हैं (एवं पंतीओ, वीहीओ मिहुणाई) इसी प्रकारसे दो २ श्रेणियां हैं, दो दो वीथियां हैं और दो दो स्त्रीपुरुषके युग्म हैं । (तेसिणं तोरणाणं पुरओ दो दो पउमलयाओ जाव सामलयाओ,) तथा उन तोरणोंके आगे दो दो पद्मलताएं यावत् दो दो श्यामलताएं कही गई है । ( णिचं कुसुमियाओ जाव सव्वरयणामयाओ, अच्छा जाव पडिरूवा) ये सब लताएं नित्य कुसुमोंसे युक्त बनी रहती है। यावत्-सर्वथा रत्नमय कही गई हैं और बहुत ही निर्मल हैं, यावत् प्रतिरूप हैं (तेसिणं तोरणाणं पुरओ दो दो दिसा सोवत्थिया पण्णत्ता, सव्वरयणामया, अच्छा जाव पडिरूवा) उन तोरणोंके आगे दो दो दिक्सौबस्तिक कहे गये हैं ये सब भी सर्वात्मना रत्नमय हैं, निर्मल हैं यावत् प्रतिरूप है। (तेसिंणं तोरणाणं पुरओ दो दो चंदणकलसा पण्णता तेणं चंदणकलसा હયસંઘાટ–અશ્વયુગ્મ, બબ્બે કિનરયુગ્મ બબ્બે કિપુરૂષયુગ્મ મહોરગ યુગ્મ, બબ્બે ગન્ધર્વ યુગ્મ બળે વૃષભ યુગ્મ છે, આ બધાં સંપૂર્ણપણે રત્નમય છે, નિર્મળ छे, यावत् प्रति३५ छे. (एवं पत्तीओ वीहीओ, मिहुणाई) मा प्रमाणे १ मध्ये श्री छ, यो पाथि। भने ५.ये स्त्री पुरुषना युभ छ. (तेसिं गं तोरणाणं पुरओ दो दो पउमलयाओ, जाव सामलयाओ) तेम०४ मा तोरणानी सामे ये पताम्मे छ यावत् ५५मे श्यामसता छ. (णिचकुसुमियाओ जाव सव्वरयणामयाओ अच्छा जाव पडिरूवा ) मा ५धा सताया ॥ ०५वती मनी રહે છે. યાવત્ સર્વથા રત્નમય કહેવામાં આવી છે. અને તેઓ બહુ જ નિર્મળ छ यावत् प्रति३५ छ. ( तेसिं गं तोरणाणं पुरओ दो दो दिसा सोवत्थिया पणत्ता, सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा) 0 तानी सामे ७ सिौपस्ति। डेवाय ॐ. ा मां ५५ २त्नभय छ, नि छ. यावत् प्रति३५ छे. (तेसिं जं तोरणाणं पुरओ दो दो चंदणकलसा पण्णत्ता तेणं चंदणकलसा वरकमलपइटाणा
શ્રી રાજપ્રીય સૂત્ર : ૦૧