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________________ २७० राजप्रश्नीयसूत्रे पसरिता समामेव आउज्जविहाणाइं गेहंति, गिण्हित्ता समामेव पवाएंसु पगाइंसु पणच्चिसु ॥ सू० ३९ ॥ छाया-ततः खलु ते देवकुमाराश्च देवकुमार्यश्च सममेव समवसरणं कुर्वन्ति, कृत्वा सममेव पङ्कीर्वघ्नन्ति, बद्ध्वा सममेव पतितो नमस्यन्ति, नमस्यित्वा सममेव पतितः अवनमन्ति, अवनम्य सममेव उन्नमन्ति, उन्नम्य एवं सहितमेव अवनमन्ति, एवं सहितमेव उन्नमन्ति, उन्नम्य स्तिमितमेव, अवनमन्ति स्तिमितमेव उन्नमन्ति, संगतमेवावनमन्ति, संगतमेवोन्नमन्ति, उन्नम्य सममेव प्रसरन्ति, प्रसृत्य सममेव आतोधविधानानि गृह्णन्ति गृहीत्वा सममेव प्रावादयन् प्रागान् प्रानृत्यन् ॥ सू० ३९ ॥ 'तएणं ते बहवे देवकुमारा' इत्यादि । टीका-ततः-भगवन्महावीर-गौतम श्रमणसमीपे गमनानन्तरं खलु ते-तत्समीपागताः, बहवः-अष्टशतसंख्याः , देवकुमाराः च-पुनः तावत्यो देवकुमार्यः सममेव-एककालमेव, समवसरणं- समागमनं कुर्वन्ति मिलन्तीति समुदितार्थः, कृत्वा सममेव पङ्की:-श्रेणीः, बध्नन्ति, बद्ध्वा समकालमेव पतितो नमस्यन्ति-तमस्कुर्वन्ति, नमस्यित्वा सममेव पशितः-श्रेणित , अव 'तएणं ते बहवे देवकुमारा देवमारीओ य' इत्यादि । सूत्रार्थ-(तएणं ) इसके बाद (ते बहवे देवकुमारा देवकुमारीओ य वे सब देवकुमार एवं देवकुमारिकाएं ( समामेव समोसरण करति ) एक ही काल में मिल गये आगये. ( करित्ता समामेव पंतीओ बंधति ) एक ही साथ पंक्तिमें बंध गये (बंधित्ता समामेव नमसंति ) ओर एक ही साथ पंक्तिबद्ध हुए सबने नमस्कार किया. (नमंसित्ता समामेव पंतिओ अवणमंति ) नमस्कार करके फिर सबने एकही साथ काल में पंक्ति बद्ध हुए नीचे झुके ( अवणमित्ता समामेव उन्नमंति ) नीचे झुककर फिर सब एक 'तएण ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य' इत्यादि । सूत्राथ-(तएण) त्या२ ५छी ( ते वहवे देवकुमारा देवकुमारीओ य ) तव्य। सवे भा२ अने वाभारिसे। (समामेव समोसरण करेंति ) मे ४ सभयमा सही साथे मणी गया. (करित्ता समामेव पतीओ बधंति ) सही साथे पतिम मनु मां-थ गया. (बंधित्ता समामेव पंतिओ नमसंति ) भने सही साथे ५तिमद्ध थये। तो सधायाने सौने नभ२४॥२ ४ा. (नमंसित्ता समामेव पंतिओ अवणमंति ) नभ२४२ ४रीने ५छी सी मे४४ ममा पतिम थइननीय नभ्या. ( अवणमित्ता समामेव उन्नमति ) नीथे नभान ५छी सी શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર: ૦૧
SR No.006341
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1990
Total Pages718
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size39 MB
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