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पीयूषवर्षिणी-टीका छ २ पूर्णभद्र चैत्यवर्णनम. सच्छत्ते सज्झए सघंटे सपडागे पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयदिए लाउल्लोइयमहिए गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरविदितम् । — सच्छत्ते' सच्छत्रम्-छत्रमण्डितम् । 'सज्झए ' सध्वजं–ध्वजोच्छ्रायैः सश्रीकम् । 'सघंटे' सघण्टम् । 'सपडागे' सपताकम् । 'पडागाइपडागमंडिए' पताकाऽतिपताकामण्डितम्-पताकाः लघुपताका अतिपताकाः विशालपताकाः, ताभिर्मण्डितम् । 'सलोमहत्थे' सरोमहस्तं-मृदुप्रमार्जनिकया सहितम् । 'कयवेयदिए' कृतवितर्दिकम् रचितवेदिकम् । 'लाउल्लोइयमहिए'-लापितोल्लोचितमहितम् , तत्र लापित-गोमयादिभिरङ्गणभित्यादेर्लेपनम्, उल्लोचितम्-खटिकादिद्रव्यैर्भित्यादीनां चाकचिक्ययुक्तकरणम् । था, (कित्तिए) लोगों द्वारा भी तरह तरह की किंवदंतियों (दन्तकथाओं) से यह कीर्तित हो रहा था। (णाए) ऐसा कोई भी जन नहीं था जो उसके नामसे अपरिचित हो। सर्वत्र जनों में यह ख्यातिप्राप्त स्थान था। (सच्छत्ते ) वह छत्रसहित था । (सज्झए) ध्वजाओं से युक्त था, (सघंटे ) घंटाओं से विशिष्ट था (सपडागे) पतकाओं से उसकी शोभा अपूर्व बन रही थी। उसमें (पडागाइपडागमंडिए) कोई २ छोटी पताकाएं थीं और कोई २ विशाल पताकाएँ थीं, जिनसे वह मंडित था । ( सलोमहत्थे ) मृदुप्रमा निका-मयूरपिच्छकी पीछी से ही उसकी सफाई होती थी, अतः इतस्ततः वे ही वहां रखी हुई रहती थीं, कठिन बुहारियां नहीं । (कयवेयदिये) इसमें वेदिका बनी हुई थी (लाउल्लोइयमहियं) इसके आंगन की जमीन लापितगोमय से लिपी हुई रहती थी, उसकी भीतें उल्लोचित-सफेद खडिया से पुती घो। पुराणे। छे थे ३५थी प्रसिद्धि-टिमा मापी गये। तो ( कित्तिए) લોક દ્વારા પણ જાતજાતની કિંવદંતિઓથી–દંતકથાઓથી તે કીર્તિત (अध्यात) 25 रह्यो ता. (णाए) सवा ४ ५ माणुस नखाता है જે એના નામથી અપરિચિત હોય. સર્વત્ર લોકોમાં આ ખ્યાતિ પામેલું સ્થાન
तु. (सच्छत्ते) त छत्रसहित तुं. (सज्झए) धनसाथी युत तु. ( सघंटे ) सामाथी विशिष्ट तु. (सपडागे) पतामाथी तेनी शाला मपूर्व थई २४ी ती. तभi ( पडागाइपडागमंडिए) छ नानी पतास।
ती मने nिe पता ती थी ते शामतुतु (सलोमहत्ये) भृहुप्रभा नि-मारना पीछांनी पीछीथी ४ तनी सई थती उती, આથી અહીં તહીં તે ત્યાં રાખવામાં આવતી હતી, કઠણ સાવરણી નહિ. (कयवेयदिए) तमi a६मनाक्षी ती. (लाउल्लोइयमहिए) तेन wingirl भूमि लापित-छायी बासी २४ती ती. तनी भी उल्लोचित-सहे।