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औपपातिक
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विया भवंति तं जहा - दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तरंत रिया उप्पलवेंटिया घरसमुदाणिया विज्जुयंतरिया उहियासमणा, ते जाव - संनिवेसेसु ' ग्रामाss - कर - यावत्संनिवेशेषु ' आजीविया भवंति ' आजीविका:= गोशालक मताऽनुवर्तिनो भवन्ति । ते किंस्वरूपाः ? अत्राऽऽह - ' तं जहा ' तद्यथा'दुघरंतरिया ' द्विगृहाऽन्तरिकाः - एकस्मिन् गृहे भिक्षां गृहीत्वा अभिग्रहविशेषेण गृहद्वयमतिक्रम्य पुनर्भिक्षां गृह्णन्ति, न निरन्तरं न एकान्तरं वा भिक्षां गृह्ग्न्तीति भावः; ' तिघरंतरिया ' त्रिगृहाऽन्तरिका:- त्रीन् गृहानतिक्रम्य भिक्षां गृह्णन्तीति त्रिगृहान्तरिकाः, एवं ' सत्तघरंतरिया ' सप्तगृहान्तरिकाः – सप्तगृहान् परित्यज्य भिक्षां गृहूणन्तीति, 'उप्पलवेंटिया ' उत्पलवृन्तिकाः- उत्पलवृन्तानि नियमविशेषात् ग्राह्यतथा भैक्षत्वेन येषां ते उत्पलवृन्तिकाः, 'घरसमुदाणिया ' गृहसमुदानिकाः - गृहसमुदानम् = अनेकगृहे भिक्षा येषां ते गृहसमुदानिकाः, ' विज्जुयंतरिया ' विद्युदन्तरिकाः - विद्यत्सम्पातेऽन्तरं =मिक्षाग्रहणस्यावरोधो येषां विद्युदन्तरिकाः विद्युति दीप्यमानायां भिक्षार्थं नाटन्तीति भावः ; 'उहियासमणा उष्ट्रिकाश्रमणाः- उष्ट्रिका = मृत्तिकामयो भाजनविशेषः, तत्र प्रविष्टा ये श्राम्यन्ति तपस्यन्ति त
'से जे इमे' इत्यादि ।
( से जे इमे) ये जो (गामा - गर - जाब - संनिवे सेमु ) ग्राम आकर आदि स्थानों से लेकर संनिवेश तक में (आजी त्रिया) गोशालक के मतानुयायी (भवति) होते हैं, (तं जहा) जैसे- (दुघरंतरिया) दो घर के अन्तर से जो भिक्षा लेते हैं, (निघरंतरिया) तीन घर के अन्तर से जो भिक्षा लेते हैं, (सत्तवरंत रिया) सात घरों के अन्तर से जो भिक्षा लेते हैं, (उप्पलवेंटिया) कमल के नालों की जो भिक्षा करते हैं, ( घरसमुदाणिया) बहुत घरों से जो भिक्षा लेते हैं, (विज्जुयंतरिया) बिजली चमकने पर जो भिक्षा नहीं लेते हैं, (उट्टियासमणा) मिट्टी के किसी बड़े वर्तन - नाँद आदि में प्रविष्ट हो कर जो तप करते
'से जे इमे' त्याहि. ( से जे इमे ) तेथे ? (गामा - गर - जाव - संनिवेसेसु) गाम सार आहि स्थानोथी साने संनिवेश सुधीमां (आजीविया) गोशासना मतानुयायी (भवति) होय छे, (तंजहा ) वा (दुघरंतरिया) में धरने म ंतर राजी ने लिक्षा से छे, (तिघरंत रिया) व धरने मंतर राणी ने लिक्षा से छे. (सत्तघरंतरिया) सात घरोना अंतस्थी ने मिक्षा से छे. (उप्पलवेंटिया) भजना नाजनी ? लिक्षा ४रे छे, (घर सामुदाणिया) घां घरोथी ? भिक्षा से छे, (विज्जुयंतरिया) विभजी यम त्यारे ने लिक्षा सेता नथी, ( उट्टियासमणा) भाटीनां