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________________ पीयूषवर्षिणी टीका सु. ५४ अम्बडपरिव्राजकविषये भगवद्गौतमयोः संवादः ६२१ मूलम्-तस्स णं भगवंतस्स एएण विहारेणं विहरमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए निरावरणे कसिणे पोडपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पजिहिति ॥सू० ५४॥ .. टीका-'तस्स णं' इत्यादि । ' तस्स णं भगवंतस्स 'तस्य खलु भगवतो दृढप्रतिज्ञस्याऽनगारस्य, 'एएणं विहारेणं विहरमाणस्स' एतेन विहारेण विहरतः'अणंते ' अनन्तम् अनन्तार्थविषयम् , 'अणुत्तरे' अनुत्तरं सर्वोत्तमम् , “णिन्याघाए' निर्व्याघात व्याघाताबहिर्भूतम्-अप्रतिहतमित्यर्थः, 'निरावरणं' क्षायिकत्वादावरणरहितम्, 'कसिणे' कृत्स्नं सकलार्थग्राहकम्, 'पडिपुण्णे' प्रतिपूर्ण सकलस्वकीयांशयुक्तम् , 'केवलवरणाणदंसणे' केवलवरज्ञानदर्शनम्-केवलम् असहायम् अतएव वरं श्रेष्ठं ज्ञानं (भविस्सइ) होगा, अर्थात् उत्कृष्ट मुनिराज बनेगा, वह (इरियासमिए जावं गुत्तबभयारी) ईर्यासमिति आदि पांच समितियों और तीन गुप्तियों का आराधक एवं यावत् गुप्तब्रह्मचारी होगा ॥ सू० ५३ ॥ 'तस्स णं भगवंतस्स ' इत्यादि। ( तस्स णं भगवंतस्स ) उन अतिशय प्रभावविशिष्ट दृढप्रतिज्ञ मुनि को (एएणं विहारेणं विहारमाणस्स) इस प्रकार के विहार से विचरते हुए (अणंते) अनन्त पदार्थों के युगपत् जानने के साधक होने से अनन्त, (अणुत्तरे) सर्वोत्कृष्ट, (णिव्वाघाए) निर्व्याघात, (णिरावरणे) आवरणरहित, (कसिणे) ज्ञान के पूर्ण विकास से सकलार्थग्राहक, (पडिपुण्णे) तथा अपने समस्त . अविभागी. अंशों में से किसी स्सइ) थरी, अर्थात् ट मुनि। मनशे, ते (इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी) ઈર્યાસમિતિ આદિ પાંચ સમિતિઓ અને ત્રણ ગુતિઓને આરાધક તેમજ शुतम्रझयारी थशे. (सू. ५3) . 'तस्स णं भगवंतस्स' छत्याहि. (तस्स णं भगवंतस्स) ते अतिशय-प्रमा-विशिष्ट प्रतिज्ञ भुनिने (एएणं विहारेणं विहरमाणस्स) थे प्रा२ना विडारथी वियरतi (अणंते) मनत पहाथीने मे साथे नपामा साध४ पाथी मनत, (अणुत्तरे) सर्वोत्कृष्ट, (णिव्वाघाए) निपात, (णिरावरणे) आ१२२डित, (कसिणे) ज्ञानना वि४।सथी स४ अर्थाने ongs , (पडिपुण्णे) तथा पोताना समस्त अविलागी यशामाथी ७. ५ मशथी डीन नडिया (केवलवरणाणदसणे)
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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