________________
औपपातिकमुत्रे आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किन्ना बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववजिहिति। तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाइं ठिई ॥ सू० ३९ ॥
मूलम् --से णं भंते ! अम्मडे देवे ताओ देवलोगाओ आलोचितप्रतिक्रान्तः प्रतिनिवृत्तः, 'समाहिपत्ते' समाधिप्राप्तः, 'कालमासे कालं किच्चा' कालमासे कालं कृत्वा 'बंभलोए कप्पे देवत्ताए उवजिहिति' ब्रह्मलोके का देवत्वेनोत्पस्यते, 'तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ' तत्र खलु अस्ति एकेषां केषांचिद् देवानां दश सागरोपमानि स्थितिः प्रज्ञप्ता । 'तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाई ठिई ' तत्र खलु अम्मडस्याऽपि देवस्य दश सागरोपमानि स्थितिः ॥ सू० ३९॥
टीका-गौतमः पृच्छति-'से णं भंते ?' इत्यादि।
‘से णं भंते ! अम्मडे देवे' स खलु भदन्त ! अम्बडो देवः, 'ताओ देवको प्राप्त करेगा। पश्चात् (कालमासे कालं किच्चा) काल अवसर में कल कर के (बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्जिहिति) ब्रह्मलोक नामक पांचवें देवलोक में उत्पन्न होगा। (तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दससागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता ) वहां कितनेक देवों की स्थिति १० सागर की है। (तत्थ णं) वहां पर ( अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाइं ठिई ) इस अम्बड देव की भी दश सागर प्रमाण स्थिति होगी॥र. ३९॥
‘से णं भंते अम्मडे देवे' इत्यादि ।
गौतम पूछते हैं-(भंते) हे भदंत ! ( से अम्मडे देवे ) वह अम्बड देव (ताओ मासायना तथा प्रतिभY ४शन (समाहिपत्ते ) समाधिने प्रात ४२शे पछी (कालमासे कालं किच्चा) स-अवसरे ४शने (बंभलोए कप्पे इवत्ताए उववजिहिति) प्रहाता नामना पांयमा वाम उत्पन्न थशे. (तत्थ ण अत्थेगइयाणं देवाणं दससागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता) त्यांना हेवोनी स्थिति दृश १० सागरनी छ, (तत्थ णं) त्यां (अम्मडस्स वि देवस्स दससागगेवमाई ठिई) 241 २१वनी ५ इस सागर प्रभार स्थिति यरी. (सू० 36)
'से गं भंते ! अम्मडे देवे' त्याहि. गौतम पूछे छ-(भंते) महत! (से णं अम्मडे देवे) ते मय हे