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________________ ५२४ ओपपातिकसूत्र मूलम्—से जाओ इमाओ गामागर जाव संनिवेसेसु इत्थियाओ भवंति, तं जहा-अंतो अंतेउरियाओ गयपइयाओ मयपइयाओ बालविहवाओ छड्डियल्लियाओ माइरक्खियाओ ____टीका-'से जाओ इमाओ' इत्यादि । ‘से जाओ इमाओ' अथ या इमाः ईटश्यः 'गामागर जाव संनिवेसेसु इत्थियाओ भवंति' ग्रामाऽऽकर यावत् संनिवेशेषु स्त्रियो भवन्ति, 'तं जहा' तद्यथा-'अंतो अंतेउरियाओ' अन्तरन्तःपुरिकाः अन्तःपुरान्तर्वतिन्यः, 'गयपइयाओ' गतपतिकाः-गताः क्वापि प्रोषिताः पतयो यासां तास्तथा, 'मयपइयाओ' मृतपतिकाः-मृताः पतयो यासां तास्तथा, विधवा इत्यर्थः, 'बालविहवाओ' बालविधवाःबालाश्चामू: विधवाः-बाल्ये वैधव्यं गताः, 'छड्डियल्लियाओं' छर्दिताः पत्यादिभिः परित्यक्ताः, 'माइरक्खियाओ' मातृरक्षिताः अपररक्षकाभावाज्जनन्या रक्षिताः, मातृकृतरक्षया शीलरक्षणकारिका इत्यर्थः, एवमग्रेऽपि बोध्यम् ; 'पियरक्खियाओ' पितृरक्षिताः, 'भायरक्खियाओ' 'से जाओ इमाओ' इत्यादि । (से जाओ इमाओ) जो ये जीव (गामागर जाव संनिवेसेसु) ग्राम आकर आदि से लेकर संनिवेशतक के स्थानों में स्त्रीपर्याय से उत्पन्न होते हैं, जैसे कि उनमें कितनीक स्त्रियां तो (अंतो अंतेउरियाओ) राजा के अंतःपुर की रानियां होती हैं, कितनीक (गयपइयाओ) प्रोषितभर्तृका होती हैं, जिनके पति प्रवासी अर्थात् परदेश गये हों उनको प्रोषितभर्तृका कहते हैं, कितनीक (मयपइयाओ) विधवा होती हैं, (बालविहवाओ) बालविधवा होती हैं, (छड्डियल्लियाओ) कितनीक पतिद्वारा परित्यक्त होती हैं, कितनीक (माइरक्खियाओ) मातृरक्षिता होती हैं, (पियरक्खियाओ) कितनीक पिता से सुरक्षित होती ' से जाओ इमाओ' त्याह. ( से जाओ इमाओ) मा १ (गामागर जाव संनिवेसेसु) म આકર આદિથી લઈને સંનિવેશ સુધીના સ્થાનોમાં સ્ત્રીપર્યાયથી ઉત્પન્ન थाय छ; भतेसामा 2ी सीमा त (अंतो अंतेउरियाओ) सना मत:५२नी २५ डाय छ, टमी (गयपइयाओ) प्राषितमत। डाय छे, (જેના પતિ પ્રવાસી અર્થાત્ પરદેશ ગયા હોય તેમને પ્રોષિતભર્તૃકા કહે छे), 32ी (मयपइयाओ) विधा डाय छे, टी४ (वालविहवाओ) मास-विधवा य छ, (छड्डियल्लियाओ) eels पतिता। परित्य४॥ य छ, दक्षी (माइरक्खियाओ) भातृशक्षिता राय छ, (पियरक्खियाओ) हैट
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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