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पोयूषवर्षिणी- टीका सू. ९ अण्डुबद्ध कादोनामुपपातविषये गौतमप्रश्न. ५१५
णयणुप्पाडियगा दसणुप्पाडियगा वसणुप्पाडियगागेवच्छिण्णगा तंडुलच्छिण्णगा कागणिमंसक्खावियगा ओलंबियगा लंबियगा दारिताः, 'हियउप्पाडियगा' हृदयोत्पाटितकाः-उत्पाटितहृदया इत्यर्थः, ‘णयणुप्पाडियगा' नयनोत्पाटितकाः-उत्पाटितनयनाः पृथक्कृतनेत्राः, 'दसणुप्पाडियगा' दशनोत्पाटितकाः-उत्पाटितदशनाः पृथक् कृतदन्ताः, 'वसणुप्पाडियगा' वृषणोत्पाटितकाः-पृथक्कृताण्डकाशाः, 'गेवच्छिण्णगा' ग्रीवाच्छिन्नकाः छिन्नग्रीवाप्रदेशाः, 'तंडुलच्छिण्णगा' तण्डुलच्छिन्नकाः-तण्डुलवत् कणशश्छिन्नाः, 'कागणिमंसक्खावियगा' काकणीमांसखादितकाः-काकणीमांसानि देहोत्कृत्तमांसखण्डानि खादितानि येषां ते तथा, 'ओलंबियगा' अवलम्बितकाः रज्ज्वा बद्ध्वा कूपादौ पातिताः, 'लंबियगा' लम्बितकाः तरुशाखादौ बद्ध्वा लम्बिताः, 'घंसियगा' घर्षितकाः चन्दनवत् पाषाणादौ घृष्टाः, 'घोलिमध्यभाग-पेट का भाग छेद दिया जाता है, (वइकच्छच्छिण्णगा) बायें कन्धे से लेकर दाहिने काँख के नीचे के भाग सहित मस्तक छेद दिया जाता है, (हियउप्पाडियगा) हृदय फाड़ दिया जाता है, (णयणुप्पाडियगा) दोनों आंखें फोड़ दी जाती हैं, (दसणुपाडियगा) अंडकोष निकाल लिये जाते हैं, (गेवच्छिण्णगा) गर्दन तोड़-मरोड़ दी जाती है, (तंडुलच्छिण्णगा) तन्दुल की तरह कण२ करके उनके शरीर के खंड २ कर दिये जाते हैं, (कागणि-मंस-क्खावियगा) उनकी देह से मांस काट २ कर कौओं को खिला दिया जाता है, (ओलंबियगा ) रस्सी से बांधकर कुए में डाल दिये जाते हैं, (लंबियगा) वृक्ष की शाखा आदि पर बांधकर लटका दिये जाते हैं, (घंसियगा) चंदन की तरह पत्थर आदि पर घिसे जाते हैं, (घोलियगा) भाण्ड में स्थित दही की भध्यमा-पटने मारा छही नसाय छे. (वइकच्छच्छिण्णगा) मी ४iuथी सधने सभी पासना नीयन। म सडित भरत छेदी नसाय छे. (हियउप्पाडियगा) हय नपाय छ. (णयणुप्पाडियगा) मन्ने मांडी वाय छे. (दसणुप्पाडियगा) हात पाडी नपाय छे. (वसणुप्पाडियगा) मष ४ढी नमाय छे. (गेवच्छिण्णगा) नाडी-भ२ नमाय छ. (तंडुलच्छिण्णगा) तन्दुલની પેઠે કણકણ કરીને તેના શરીરના કટકે-કટકા કરી નાખવામાં આવે છે. (कागणि-मंस-खावियगा) तेना समांथी भांस पी पीने ४ामने भqशपाय छे. (ओलंबियगा) हो२iथी मांधान पाम नाभी वाय छे. (लंबियगा) उनी जीमे मांधान aanwi यावे छे. (घंसियगा) यहननी पेठ