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पीयूषवर्षिणी-टीका. स. ६१ सुभद्रादीनां स्वस्थाने गमनम्
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मूलम्-तए णं ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हह-तुट्ट-जाव-हिययाओ उहति, उहित्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति, करित्ता वंदंति णमंसंति,
___टीका--'तए णं ताओ' इत्यादि । 'तए णं ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ' ततः खलु ताः सुभद्राप्रमुखा देव्यः 'समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए' श्रमणस्य भगवतो महावीरस्याऽन्तिके 'धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठ-तुट्ठ-जाव-हिययाओ' धर्मं श्रुत्वा निशम्य हृष्ट-तुष्ट यावद्धृदया 'उठाए उठेति' उत्थयोत्तिष्ठन्ति, 'उट्ठित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स' उत्थाय श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य 'तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति' त्रिकृत्व आदक्षिणप्रदक्षिणं कुर्वन्ति, 'करित्ता वंदति णमंसंति'
'तए णं ताओ सुभद्दापमुहाओ' इत्यादि ।
(तए णं) इस के बाद (ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ) वे सुभद्राप्रमुख देवियाँ भी (समणस्स भगवओ महावीरस्स) श्रमण भगवान महावीर के (अंतिए) समीप (धम्म सोचा) धर्म श्रवण कर, एवं (णिसम्म) उसे हृदयंगम कर, (हट्ठ-तुट्ठ-जाव-हिययाओ) बहुत ही अधिक खुश एवं संतुष्ट होती हुई जहाँ वे खडी थीं वहाँ से (उद्वाए उडेति) चल कर भगवान के समीप आयीं, (उद्वित्ता) आकर उन्होंने (समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति करित्ता वंदति णमंसंति) श्रमण भगवान् महावीर की तीन
"तए णं ताभो सुभदापमुहाओ" त्याहि.
(तए णं) त्या२ पछी (ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ) ते सुभद्रा-प्रभु हेवीमे। ५y (समणस्स भगवओ महावीरस्स) श्रम मावान महावीरना (अंतिए) सभीचे (धम्म सोच्चा) धर्म-श्रवधु ४शन, तम०४ (णिसम्म) तनयम ४शने (हटु-तुटु-जाव-हिययाओ) मई मुश तम संतोष पामती न्यो त। Gमी ती त्यांथी ( उदाए उट्टेति ) यासीन सपाननी पासे मावी, (उद्वित्ता) मावीन तमाये ( समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति, करित्ता वदति णमंसंति) श्रम मापान महावीरने २ माइक्षिण