________________
. : ओपपातिकसूत्रे समलंकरेइ, समलंकरित्ता जाणाई वरभंडगमंडियाइंकरेइ,करित्ता जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वाहणसालं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता वाहणाई पञ्चुवेक्खेइ, पञ्चुवेक्खित्ता वाहणाइं संपमज्जइ, संपमजित्ता वाहणाई जीणेइ, णीणित्ता वाह'जाणाई समलंकरेइ' यानानि समलङ्करोति यन्त्रयोक्त्रादिभिः कृतालङ्काराणि करोति, समलङ्कृत्य 'जाणाइं वरभंडगमंडियाई' यानानि वरभाण्डकमण्डितानि वराभरणभूषितानि 'करेइ' करोति, कृत्वा यत्रैव वाहनशाला तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य, वाहनशालामनुप्रविशति, अनुप्रविश्य वाहणाई पच्चुवेक्खेइ' वाहनानि प्रत्युपेक्षते, तेषामङ्गप्रत्यङ्गसौन्दर्य पश्यति, दृष्ट्वा वाहनानि 'संपमज्जइ' सम्प्रमार्जयति-निर्मलीकरोति, सम्प्रमार्थ वाहनिकालकर (जाणाणं दूसे पत्रीणेइ) उनके ऊपर के वस्त्रों को उसने दूर किया । (पवीणित्ता) जब वस्त्र कि जिनसे ये ढके हुए थे दूर हो चुके तब उसने (जाणाई समलंकरेइ) उन सब यानों को अलंकृत किया । (समलंकरित्ता) जब वे अच्छी तरह अलंकृत हो चुके तब (जाणाई वरभंडगमंडियाइं करेइ) उन यानों को उसने अच्छी रीति से गादी-तकिया आदि उपकरणों से मंडित किया। (करित्ता) सुसज्जित कर (जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छइ) फिर वह जहां वाहनशाला थी वहाँ पहुँचा, (उवागच्छित्ता) पहुँच कर (वाहणसालं अणुपविसइ) वह उस वाहनशाला के भीतर प्रविष्ट हुआ । (अणुपविसित्ता) प्रविष्ट होकर (वाहणाइं पञ्चुवेक्खेइ) उसने वाहनों को देखा (पच्चुवेपवीणेइ) तेमना ५२नां पत्रोने तेथे १२ भूश्या (पवीणित्ता) न्यारे ते पसीनाथी ते ढाया तो ते २ २ गया त्या२. तेणे ( जाणाई समलंकरेइ) ते या यानाने शायर्या . ( समलंकरिता ) न्यारे ते सारी राते मत थ युध्या त्यारे ( जाणाई वरभंडगमंडियाइं करेइ) ते यानाने तेणे सातथी ही तछिया मा ७५४२ थी मांडित ४ा. (करित्ता) सुसCorora शेने (जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छइ.) ५७ ते या पाउनासा
ती त्या पडल्या. ( उवागच्छित्ता ) पांयीन (वाहणसालं अणुपविसइ) ते से पानासानी म४२ मत या. ( अणुपविसित्ता) मिस २४ने (वाहणाई पच्चुवेक्खेइ ) तेथे वाहनाने लेया. ( पच्चुवेक्खित्ता) लेधने (वाह: