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पीयूषवर्षिणो-टीका सु. ३८ भगवदर्शनार्थ जनोत्सुक्यम् पायच्छित्ता, सिरसा कंठे मालकडा आविद्ध-मणि-सुवण्णा कप्पियहार-द्धहार-तिसर-पालंब-पलंबमाण-कडिसुत्त-सुकय - सोहाभरणा पवर-वत्थ-परिहिया चंदणो-ल्लित्त-गाय-सरीरा, अप्पेकृतं कौतुकं मषीपुण्ड्रादिकं, मङ्गलं-दध्यक्षतादि, एतद्द्वयं प्रायश्चित्तं दुःस्वप्नादिप्रशमनत्वेनावश्यकरणीयत्वाद् यैस्ते तथा, कौतुकमङ्गलरूपं प्रायश्चित्तं कृतवन्त इत्यर्थः । 'सिरसा कंठे मालकडा' शिरसि कण्ठे कृतमालाः 'आविद्ध-मणि-सुवण्णा' आविद्ध-मणिसुवर्णाः-परिधृतमणिकनकभूषणाः; भूषणान्येव नामभिर्निर्दिशति-'कप्पिय-हार-ख़हारतिसर-पालंव-पलंबमाण-कटिसुत्त-सुकय-सोहाभरणा' कल्पित-हारा-ऽर्द्धहार-त्रिसरप्रालम्बप्रलम्बमान-कटिसूत्र-सुकृत-शोभाऽऽभरणाः, तत्र-हारः अर्द्धहारः त्रिसरकश्च प्रसिद्धः; तथा प्रालम्बः झुम्बनकं स एव प्रलम्बमानः यत्र तत् कटिसूत्रं च तानि सुकृतशोभानि आभरणानि कल्पितानि-धृतानि यैस्ते तथा, विविधभूषणभूषितशरीरा इत्यर्थः; तथा-'पवर-वस्थपरिहिया' प्रवरवस्त्रपरिहिताः श्रेष्ठवस्त्रधारकाः, 'चंदणो-ल्लित्त-गाय-सरीरा' चन्दनो-ल्लिप्तगात्र-शरीराः-चन्दनचर्चितशरीगः। 'अप्पेगइया' अयेकके-'हयगया एवं गयगया रहगया मीतिलक दधि अक्षत आदि धारण किये, (सिरसा कंठे मालकडा आविद्ध-मणि-सुवप्रणा) मस्तक एवं कंठ में मालाएँ धारण किये, जिनमें मगि जड़े हुए हैं ऐसे सुवर्णों के आभूषण पहिने, तथा (कप्पिय-हार द्धहार-तिसर-पालंव-पलंबमाण-कटिसुत्त-सुकयसोहा-भरणा) शरीरशोभावर्द्धक अठारह लर के हार, ९ लर के अर्धहार, तीन लर के तिसरक, और नीचे की ओर लटकते हुए झुमके वाले कटिसूत्र पहिरे, (पवर-वत्थ-परिहिया) अच्छे २ सुन्दर बहुमूल्य वस्त्र पहिरे, (चंदणो-ल्लित्त-गाय सरीरा) शरीर पर चन्दन लगाये; जब इस प्रकार वहाँ की जनता सज-धज कर तैयार हो चुकी तब उसमें से (अप्पेगइया) कितनेक (चलने के लिये), (हयगया) धोड़ों पर सवार हुए, (एवं गयगया) मालकडा आविद्ध-मणि-सुवण्णा ) मस्त तेभ०४ मां माता धा२९ ४३१,
मा भए सांय सेवा सुवर्णनां याभूषण पा', तथा (कप्पिय-हार-द्धहार-तिसर-पालब-पलबमाण-कटिसुत्त-सुकय-सोहाभरणा) शरीरशालावध: २ढार સર (લટ)ના હાર, ૯ સરના અધહાર, ત્રણ સરના હાર, નીચેની તરફ exi भाव टिसूत्र पडा, (पवर-वत्थ-परिहिया ) सा२। सा२। सुन्४२ पहुभूल्य वस्त्रो पर्या, (चंदणो-ल्लित्त-गाय सरीरा) शरी२ ५२ ચંદન લગાવ્યું. જ્યારે આ પ્રકારે ત્યાંની જનતા સજીધજીને તૈયાર થઈ गई त्यारे तमाथी ( अप्पेगइया ) यसवा माटे ( हयगया ) घोडा ५२