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औपपातिकसत्रे देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासामो। एयं णे इहभवे पेच्चभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए 'समणं भगवं महावीरं वंदामो' श्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दामहे-स्तुमः गुणगानेन, 'णमंसामो' नमस्कुर्मः पञ्चाङ्गनमनेन, 'सक्कारेमो' सत्कुर्मः अभ्युत्थानादिना, 'संमाणेमो' सम्मानयामः-परमादरेग-भक्तिबहुमानेनेत्यर्थः, 'कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवसामो कल्याणं मङ्गलं दैवतं चैत्यं विनयेन पर्युपास्महे-कल्याणं कल्याणप्राप्तिकारणम् , मङ्गल दुरितदूरीकरणकारणम् , दैवतं देवोचितप्रभावोपचितम् , चैत्य केवलज्ञानयुक्तं-चित्तप्रसादहेतुं वा एतादृशं भगवन्तं पर्युपास्महे=विनयेन सेवामहे, 'एयं णे' एतन्नः-एतद्-भगवद्वन्दनादि, न:-अस्माकम् , 'इहभवे पेच्चभवे य' इहभवे प्रेत्यभवे-परभवे च 'हियाए' णुप्पिया) इसलिये हे देवानुप्रिय ! उनके पास अपने चलें, वहां जाकर (समणं भगवं महावीरं) श्रमण भगवान् महावीर को (वंदामो) वन्दना करें अर्थात् उनका गुणगान करें । (णमंसामो) पंचांग-नमन-पूर्वक नमस्कार करें । (सकारेमो) अभ्युत्थानादिक क्रियाओं द्वारा उनका सत्कार करें । (संमाणेमो) भक्ति बहुमान के साथ उनका सम्मान करें । (कल्लाणं) कल्याण प्राप्ति के कारणभूत, (मंगलं) पापों को दूर करने के लिये निमित्तरूप, (देवयं) देवाधिदेव के प्रभाव से युक्त, (चेइयं) केवलज्ञान युक्त, ऐसे श्री भगवान् महावीर स्वामी की (विणएणं) विनयपूर्वक (पज्जुवासामो) सेवा करें । (एयं णे इहभवे पेच्चभवे य ) यह भगवान का वन्दन और नमस्कार आदि इस भव में और परभव में (हियाए) आजीवन कल्याण के लिये (सुहाए) सुख के लिये अर्थात् भोगजनित हेवानुप्रिय ! तेमनी पासे मापणे ४४, त्यांधने (समणं भगवं महावीरं) श्रम लगवान महावीरने (वंदामो) बना ये अर्थात् तेमन गुरागान शये. (णमंसामो) पंचांग-नमनपूर्व नभ२४२ ४३शये. (सक्कारेमो) अत्युत्थान माहि जियाय द्वारा तेभने। सत्४।२ ४रीमे. ( संमाणेमो) सहित महुभान साथ तमनु सन्मान ४श. (कल्लाणं) ४च्या प्रालिन। २९४भूत, (मंगल) पापीना नाश ४२१॥ भाट निभित्त३५, (देवयं) हेवाधिवन प्रमाथी युत, (चेइयं)
सज्ञान युत, सेवा श्री लगवान महावीर स्वामीनी (विणएण) विनयपूर्व (पज्जुवासामो) सेवा ४शये(एयं णे इहभवे पेच्चभवे य) मा लगवानने न तथा नम२४.२ आEि PAL Aqभा तथा ५२ममा (हियाए) 2004न ४ल्याण