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विपाकश्रुते पुणो' पुनः पुनः 'मंजुलप्पणिए' मजुलप्रभणितान्-'मा-मा' इति श्रवणरमणीयभाषितान् ददति मातृप्रभृतिश्रवणाय वितरन्ति, तादृशान् शब्दान् कुर्वन्ति, ता मातरो धन्या इति भावः। किन्तु 'अहणं' अह खलु 'अधण्णा' अधन्या, 'अपुण्णा' अपुण्या, 'अकयपुण्णा' अकृतपुण्याऽस्मि यतः 'एत्तो' एतेषु-दारकाणां वा दारिकाणां वा प्रभणितादिषु 'एगयरमवि' एकतरमपि-कञ्चिदेकमपि 'ण पत्ता' न प्राप्ता 'तं' तत्-तस्मात् कारणात् 'सेयं' श्रेयः 'खलु ममं' खलु मम 'कल्लं जाव जलंते' कल्ये यावत् ज्वलति, कल्ये प्रादुष्प्रभातायां रजन्यां यावत् 'उत्थिते' उदिते सूर्ये सहस्ररश्मौ दिनकरे तेजसा ज्वलति देदीप्यमाने सति 'सागरदत्तं सत्यवाह' सागरदत्तं सार्थवाहं 'आपुच्छित्ता' आपृच्छय 'सुबहुपुष्फवत्थगंधमल्लालंकारं' सुवहुपुष्पवस्त्रगन्धमाल्यालङ्कारं 'गहाय' गृहीत्वा 'बहुहिं' बहुभिः 'मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरियणमहिलाहिं' मित्रज्ञातिनिजकस्वजनसम्बबैठकर सुन्दर आलापों को एवं मधुर अपनी वाणी से "मा मा" इस कर्णप्रिय रमणीय शब्द को सुनाते हैं। 'अहं णं अधण्णा अपुण्णा अकयपुण्णा' मैं तो बिलकुल अधन्य हूं, अकृतपुण्य हूं और मंदभागिनी हूं, जो "एत्तो एगयरमवि ण पत्ता' उनके इन मधुर आलापादिकों में से किसी भी आलाप सुनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं कर रही हैं। 'सेयं खलु ममं कल्लं' अब प्रातः होने पर मुझे यही श्रेय है कि जब 'जलंते' सूर्य अपनी आभा से चमकने लगेगा तब मैं 'सागरदत्तं सत्थवाहं आपुच्छित्ता' सागरत्त सार्थवाह से पूछकर 'सुबहुपुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं गहाय' अनेक पुष्प, वस्त्र, गंधमाल्य, एवं अलंकारों को लेकर 'बहुहि मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणमहिलाहिं सद्धिं' अनेक मित्रों, ज्ञातिजनों, स्वजनों एवं संबंधीजनों तथा परिजनों की महिलाओं के मातापाया पोतानी पाए 43 "भा-भा” सेवा ४ प्रिय शण्हे! समजावे छे. 'अहं णं अधण्णा अपुण्णा अकयपुण्णा' ईतो तन माग्यहीन छ, भने महमाश्यवाणी छु. तेथी 'एत्तो एगयरमविण पत्ता' तेना को मधुर माया ठीना माता५ सालपार्नु सौभाग्य प्राप्त शल्यु नथी. 'सेयं खलु मम कल्लं' हवे सवार यतां १ मारे भाट से ति४२ छ । न्यारे 'जलंते' सूर्य पोतानी मामाथी यम४१सारी त्यारे -'सागरदत्तं सत्थवाहं आपुच्छित्ता' सागरत्त साथ पाइने ५छी ४३शने- 'सुबहुपुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं गहाय' मने पु०५, १७. ध भात्य भने म ने साधने 'बहुहिं मित्तणाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियण-महिलाहिं सद्धि' भने भित्री, शातिनी, स्वनी, समाधान तथा परिनानी सीमानी
શ્રી વિપાક સૂત્ર