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________________ विपाकश्रुते टीका। एवं खलु०' इत्यादि। ‘एवं खलु गोयमा' एवं खलु हे गौतम ! 'तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबूद्दीवे दीवे भारहे वासे' तस्मिन् काले तस्मिन् समये इहैव जम्बूद्वोपे द्वीपे भारते वर्षे 'छगलपुरे णयरे' छगलपुरनामकं नगरं 'होत्था' आसीत् । 'तत्थ' तत्र 'सीहगिरी णाम' सिंहगिरिर्नाम: सिंहगिरिनामकः, 'राया' राजा 'होत्था' आसोत् । स कीदृशः ? इत्याह'महयाहिमवंतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे' महाहिमवन्महामलयमन्दरमहेन्द्रसारः, अस्य व्याख्याऽस्मिन्नेवाध्ययने प्रागुक्ता । 'तत्थ गं छगलपुरे णयरे छण्णिए णामं छागलिए परिवसइ' तत्र खलु छगलपुरे नगरे छनिको नाम छागलिक: परिवसति, स कीदृशः ? इत्याह-'अइढे' इत्यादि । आढयः, 'जाव अपरिभूए' 'एवं खलु.' इत्यादि । गौतमस्वामी के पूछने पर भगवान फरमाते हैं कि-'एवं खलु' 'गोयमा !' हे गौतम ! इस प्रकार 'तेणं कालेणं तेणं समएणं' उस काल में एवं उस समय में 'इहेच जंबृद्दीवे दीवे भारहे वासे' इसी जंबूद्वीप नामक द्वीप में और इसी भरतक्षेत्र में 'छगलपुरे णयरे होत्था' एक छगलपुर नामका नगर था । 'तत्थ सीहगिरी णामं राया होत्था' उस नगर का राजा सिंहगिरि था । वह 'महयाहिमवंतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे' महाहिमवान पर्वत जैसा, मलयाचल सुमेरगिरि और महेन्द्र पर्वत के समान अन्य राजाओं में प्रधान था। 'तत्थ णं छगलपुरे णयरे छणिए णामं छागलिए परिवसई अड्ढे जाव अपरिभूए' उसी छगलपुर नगर में छनिक नाम का एक कसाई भी रहता था । वह आढय जन धन धान्य आदिसे खूब परिपूर्ण एवं यावत सबके एवं खलु' त्याहि. गौतम स्वाभीमे पूछयु त्या भावान हे छ है-'गोयमा !' गौतम! 'एवं खलु' मा प्रभा 'तेणं कालेणं तेणं समएणं' ते अनेते समयन विष 'इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे' मा दीपनi मा मरत क्षेत्रने विवे 'छगलपुरे णयरे होत्था' छापुर नामर्नु नगर हेतु 'तस्स सीहगिरी णामं राया होत्था' ते नाना सिमिर नामना २२ ता, ते 'महयाहिमवतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे ' महाहिमपान पति नेवा मलयाय सुभे३२ मने भ.५ पर्वत समान अन्य नयामा प्रधान-भुज्य ता. 'तत्थ ण छगलपुरे णयरे छण्णिए णामं छागलिए परिवसइ अढे जाव अपरिभूए' ते ७०२ नगरमा છન્નક નામનો એક કસાઈ પણ રહેતું હતું, તે ખૂબ ધન, ધાન્ય આદિ સંપત્તિથી શ્રી વિપાક સૂત્ર
SR No.006339
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages809
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vipakshrut
File Size44 MB
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