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सुदर्शिनी टीका अ० ३ सू० १४ चौराः किं फलं प्राप्नुवन्तीतिनिरूपणम् ३२५ मर्दनपूर्वकमुर्धाधः करणादीनि तैविहेड्यमाना इति पूर्वेण सम्बन्धः । तथा 'संबद्धा' संबद्धाः रज्ज्वादिभिदृढंबद्धाः सन्तः 'नीससंता' निःश्वसन्तः निश्वासं विमुश्चतः 'सीसावेढउरुयालवप्पडगसंधिबंधणतत्तसलागमइआकोडणाणि' शीर्षावेष्टनोरुदारबप्पडसंधिबन्धनतप्तशलाकासूच्याकुट्टनानि शीर्षावेष्टनं आर्द्रचर्मादिभिः शिरोबन्धनमूरुदार:-जङ्घाविदारणं चप्पडगसन्धिबन्धनं ' चप्पडग' इतिकाष्ठयन्त्रवि शेषस्तेषां काष्ठयन्त्रविशेषाणां सन्धिस्थानेषु जानुकूर्परादिषु बन्धनं, तथा तप्तानां शलाकानां लोहकीलकानां सूचीनां च प्रतीतानामाकुट्टनानि शरीरे प्रवेशनानि यानि तान्येतानि, तथा-' तच्छणविमाणणाणि' तक्षणविमाननानिवासिभिस्तकंडग ) इनके वक्षस्थल की तथा पृष्ठभाग हड्डियां कंपित होने लग जाती हैं । (मोडणेहिं ) बार २ इन चोरों का वे कोतवाल लोग मर्दन करते हैं बार २ ऊँचे नीचे उठाते बैठाते हैं, इस तरह से बहुत दुःखित करते रहते हैं । ( संबद्धा ) रज्ज्वादिक से ईन्हें बहुत ही दृढ़ता के साथ हाथ पैर आदि अवयवों में बांध देते हैं (नीससंता) इस कारण जोर २ से हाँफने लग जाते हैं । (सीसावेढउरुयाल-वप्पडसंधिबंधणतत्तसलाग सूइ आकोडणाणि) (सीसावेढ) गीले चमड़े आदि से इनका शिर बांध दिया जाता है, (उस्याल) ऊरुदार-जंधाएँ इनकी इतनी अधिक चौड़ी करवाई जाती हैं कि जिससे उनका विदारण (तूट जाना) हो जाता है। (चप्पडगसंधिबंधणा) जानुकूर्पर (कोणी) आदि संधि स्थानोंमें एक प्रकारके काष्ठयंत्र बांध दिये जाते हैं तथा ( लोहसलाग ) शरीरमें तप्तलोहे की शलाईयों से दाग दिये जाते हैं और (सूई आकोडणाणि) गरम लोहेकी सूईयां उसमें प्रविष्ट की जाती हैं, तथा ( तच्छणविमाणणाणि ) वसूला आदिसे तेभनी छाती तथा पीना डा ५ दाणे छ, “ माडणेहिं " ते योन તે કેટવાળે વારંવાર મર્દન કરે છે. તેમને વારંવાર ઊઠે બેસ કરાવે છે, અને सेशते तेने महम छे. “संबद्धा" तमना हाथ ५॥ माह मयवाने हो२i माह 43 भभूत रीते मांधी वामां आवे छ, “नीससंता" ते २ ते मिया। ia तय छे. “सीसावेढ" लीन याम माहिथी तेभन शि२ मांधी छ, “ उरुयाल" तेमनी मेटली मधी पाणी ४२वामां आवे छे ते २णे तेमनु विहार थाय छ, “चप्पडगसंधि. बधणा" anनु ५२ ( गुहा ) मा सांधावजी यामामा से प्रा२नां ४०४३ मांधी वामi भावे छ, तथा “ लोहसलाग" तपास सोढाना सनियामा १3 शरी२ ५२ म वामां आवे छ, भने “ सूइआकोडणाणि" गरम ४२सी सोटानी सायो शरीरमा वामां आवे छे, तथा “ तच्छण विमा
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર