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सुदर्शिनी टोका अ०१ सू० २० मदबुद्धिया कान्२ जोवान् घ्नन्ति ७७ मन्ति, अर्थाय, अनर्थाय, तदुभयतो नन्ति । हास्यात् वैरात् रतेन न्ति, हास्यवैररतिभ्यो नन्ति । किंभूताः सन्तो घन्ती ? त्याह 'कुद्धा इत्यादि । 'कुद्धा' क्रुद्धाः क्रोधयुक्ताः, 'लुद्धाः' लुब्धान्-विषयगृद्धाः । 'मुद्रा' मुग्धाः मोहवशाः नन्ति ।
है-वे भी इन त्रस स्थावर जीवों की हिंसा करते हैं । ( सवसा अवसा दुहओ हणंति ) तथा स्वतंत्र और परतंत्र दोनों प्रकार से होकर भी इन जीवों की हिंसा करते हैं। तथा ( अट्ठा हणंति ) ये जीव जीवों की हिंसा प्रयोजन से करते हैं और (अणट्ठाहणंति) अनर्थ-विना प्रयोजन के निरर्थक भी करते हैं (अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति ) कोई २ ऐसे भी जीव हैं । जो कुछ जीवों की हिंसा अपने स्वार्थ से करते हैं। और कितनेक जीवों की हिंसा स्वार्थ न भी हो तो भी करते हैं। (हस्सा हणंति ) संसार में ऐसे भी हिंसक जीव हैं जो जीवों की हिंसा हास्य के कारण ही कर डालते हैं, ( वेरा हणंति ) कितनेक ऐसे भी हैं जो जीवों की हिंसा वैर के निमित्त को लेकर करते हैं । ( रई हणंति ) कितनेक ऐसे भी हैं जो रति-आमोद प्रमोदके निमित्त को लेकर जीवों की हिंसा करते हैं । (हस्सा वेरा रति हणंति ) कितनेक जीव ऐसे भी हैं जो एक ही साथ हास्य वैर और रति-आमोद प्रमोद के निमित्त को लेकर जीवों की हिंसा करते है । वे कैसे होकर हिंसा करते हैं-( कुद्धाहणंति ) कितनेक जीव ऐसे भी हैं जो क्रोधी होकर जीवों की हिंसा
५५ ये प्रेस स्थाव२ वानी डिंसा ४२ छ. “सवसा अवसा दुहओ ऑति" તથા સ્વતંત્ર અને પરતંત્ર, બન્ને પ્રકારથી યુક્ત થઈને પણ જીવની હિંસા કરે छ तथा “ अट्टाहणति" ते वानी डिसा ते॥ अर्थ स४२९४ ४२ छ भने "अणदाहणंति" अनर्थ-२५४१२६-निरथ ५४ ४२ छ. “ अट्टा अणटा दुहओ हणंति" असा ५९॥ वो डाय छे मामा वानी हिंसा पोताना સ્વાર્થને કારણે કરે છે અને કેટલાક જીવોની હિંસા સ્વાર્થ ન હોવા છતાં પણ ४२ छ. “हस्सा हणंति” संसारमा सेवा ॥४ डिस छ। ५५५ छ
मा ७वानी हिंसा स्य-माने यात२ ४ ४२ छे. “वेरा हणंति". सा सवा ५५ छ २ वानी डिंसा ३२ने निमित्त ४२ छ. “ रई हणंति" टा४ सवा ५४ ७ छ रे तिमाम प्रभाहने मात२ वानी डिसा ४२ छ “हस्सा बेरा रती हणंति" टसा वो मेवा ५५ छ । એક સાથે હાસ્ય, વેર અને રતિ-આમેદ પ્રમાદને નિમિતે જીવેની હિંસા કરે छ. तेरा वी वृत्तियो योनी हिंसा ४२ छ? " कुद्धा हणंति" डेटा यो
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર