________________
सुदर्शिनी टीका अ० १ सू० ९ भुजपरिसर्पमेदनिरूपणम् प्रमाणशरीरा मनुष्यक्षेत्रबहि विनउर परिसर्पविशेषाः, एषां द्वन्द्वः । उरगविधाना: उरगप्रकाराः कृताः। तान् च एवमादीन् 'घ्नन्ति' इत्यनेन सम्बन्धः ।।सू०८॥ अथ भुजपरिसर्पभेदानाह-'छीरल.' इत्यादि।
मूलम्-छोरल-सरंब-सेह-सेल्लग-गोधा-उंदुर-णउलसरड-जाहक-मंगुस-खाडहिला-चाउप्पइय-घरोलिया-सरीसिव गणे य एवमाई ॥ सू० ९ ॥
टीका-क्षीरलाः, शरम्बाः, 'सेहाः' तीक्ष्णकण्टकाकुलकायाः, शैल्यकाः, एते सर्वे भुजपरिसर्पविशेषाः। गोधाः प्रसिद्धाः, उन्दुराः=मूषकाः, नकुलाः प्रसिद्धाः है । (महोरगा) महोरग ये वे सर्प हैं कि जिनका शरीर एक हजार योजन का होता है, तथा ये मनुष्य क्षेत्र से बाहिरी क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं। (उरगविहाणोकएय) :ये सब भेद उरःपरिसो के हैं पापी जीव इन्हें मारते हैं । सू.८॥ ___अब भुजपरिसर्प के भेदों को सूत्रकार प्रकट करते हैं-'छीरलसरंब' इत्यादि।
टीकार्थ-(छीरल-सरंब-सेह-गोधा-उंदुर-णउल-सरंड-जाहक-मंगुस खाडहिला-चाउप्पइय-घरोलिया-सरीसिव गणे य एवमाई )क्षीरल, शरम्ब सेह ये वे जीव है कि जिनका शरीर क,टों से युक्त रहता है। सेह को हिन्दी भाषा में “सेही " कहते हैं, इसका आकार श्रृगाल जैसा होता है, इसके शरीर पर तीखे नुकीले काले और सफेद रंग वाले कांटे होते हैं। ये भेद भुजपरिसों के हैं । गोधा-गुहेरेकी मांको कहते हैं यह भित्ति पर इतनी मजबूती के साथ चिपक जाती है कि इसे पकड़ कर चोर મહોરગ, તે એવા સર્પ હોય છે કે જેમનું શરીર એક હજાર એજનનું હોય छ, तथा ते मनुष्य क्षेत्रथी महान क्षेत्रमा उत्पन्न थाय छे. "उरगविहाणाकएय" આ બધા ઉર પરિસર્પોને ભેદ છે. પાપી છે તેમની હત્યા કરે છે. સૂ.૮ वे भूपरिसपना होने सूत्र४२ प्रगट ४२ छ-" छीरलसरब" छत्या.
टी -“छीरल, सरब, सेह, सेल्लग गोधा उदुर, णउल, सरड, जाक, मंगुस, खाडहिला, चाउप्पइय, घरोलिया, सरीसिव, गणे य एवमाई" क्षीरस, श२५, સેહ, તે જ કાંટા થી યુક્ત શરીરવાળા હોય છે. સેહને ગૂજરાતી ભાષામાં સાહડી કહે છે. તેને દેખાવ શિયાળ જેવો હોય છે, તેના શરીર પર તીણ, અણીદાર, કાળા અને સફેદ રંગના કાંટા હોય છે. તે ભુજપરિસર્પોના ભેદ છે. " गोधा" पास धोने ४ छ. ते हिवास ५२ मेटी 3 क्याटी तय छे.
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર