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-: तृतीय वर्ग :(३) तीसरे वर्ग के पहले अध्ययन में धन्यकुमार का वर्णन लौकिक लोकोत्तर संपत्ति से युक्त अच्छे ढंग का होने से पाठकों को इस अध्ययन में निम्नोक्त बातें उचित प्रकार से समझने को मिलेगी।
१ धन्यकुमार की घरसंपत्ति । २ धन्यकुमार का उपदेशश्रवण | ३ उपदेश में पुद्गल-परावर्त का स्वरूप । ४ संसार-परित्याग । ५ भीष्म अभिग्रह । ६ कठिन तपश्चर्या । ७ तपश्चर्या से शरीर की निर्बलता । ८ तपहारा सर्वार्थसिद्ध में उत्पन्न होना । ९ महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त करना ।
श्री अनुत्तरोपपातिक सूत्र का पठन पाठन करनेवाले मुमुक्षुओं को इस अध्ययन में प्रास होनेवाली सामग्री से आत्मिक ज्ञान प्राप्त होगा, संसार का स्वरूप समझने से मोहत्याग की भावना जागृत होगी, त्यागियों को धन्य अनगार के त्याग से अपने त्याग की तुलना करने का स्वयं ज्ञान होगा और संयम तप की क्रियाशुद्धि के विवेक की प्राप्ति होगी।
काकन्दी नगरी (जनश्रुति से वर्तमान में मारवाड के अन्दर केकीन्द के नाम से पहचानी जाती है) में भद्रा नामकी सार्थवाही रहती थी, वह सार्थवाही स्वयं अधिकारिणी होकर अपने गृहकार्य को पूर्ण दक्षता से सम्मालती थी, उसी के देख-रेख में व्यापार होता था, व बाहर के देशों में वाहनो द्वारा माल भेजा जाता व मंगाया जाता था, वह सर्वकलानिपुण होने से सभी कार्यो को पूर्ण रूपसे सम्मालती थी। इससे हम अच्छी तरह जान सकेंगे कि उस समय स्त्रियों का इतना प्रभाव था कि वे पुरुष की भांति स्वतंत्र सारा कार्य सम्माल सकती थी । नारीजीवन में नारी अज्ञानता का दोषारोपण
શ્રી અનુત્તરોપપાતિક સૂત્ર