SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ : प्रस्तावना : सुज्ञ पाठको ! स्थानकवासी समाज जैन धर्म का मुख्य अंग होने से इस समाजकी रचना अपने ढंग से बनी हुई है, समाज के किसी भी कार्य में व क्रिया में भगवान महावीर की आज्ञा के अतिरिक्त बाह्याडम्बर को ज्ञानी पुरुषोंने जरा भी स्थान नहीं दिया है कारण कि - जैन धर्म वीतराग धर्म है, वीतराग धर्म में कषाय, और दम्भ को जरा भी स्थान नहीं है । जिस समाज की क्रिया में दम्भ रहा हुवा हो, जिस क्रिया के आचरण में बाह्याडम्वर का स्थान हो, वैसी क्रिया करनेवाली समाज की प्रतिमा ‘बीतराग धर्म में जरा भी नहीं है । इसी कारण जैनधर्म के प्रणेता बीतराग प्रभुनें जैनागमों में मुनियों के लिये अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह आदि पांच महाव्रत और श्रांवकों के लिये स्थूल प्राणातिपात विरमण आदि बारह व्रत को पालन करने की आज्ञा दी है, इन व्रतों के आचरण में मुनियों व श्रावकों को किस प्रकार रहना चाहिये, अथवा तो इन व्रतों को आचरनेवाले कैसे किस प्रकारसे जीवन बितानेवाले हुए उसका वर्णन पूर्णतः किया है। इसी कारण भारत के विभिन्न धर्मी में व शास्त्रों में जैनागमों की विशेष मुख्यता है । जैनागमों की गहराई में पूर्ण ज्ञानी व त्यागी के सिवाय और कोई नहीं उतर सकता, जैनागमों में क्या है वह वही जान सकता है कि जो सम्यगज्ञान के साथ त्याग, वैराग्य की पराकाष्टा को पाया हुवा हो, इसके अतिरिक्त यदि कोई भी जैनागमों की खोज में प्रयत्न करता हो तो उसका प्रयत्न निरर्थक व उसके लिये आपत्तिजनक है । आजतक अनेक मनुष्योंने जैनागमों के महत्व का माष लेने के लिये प्रयत्न किया, परन्तु सम्यगज्ञानका अभाव होनेसे वे प्रयत्नकर्ता उससे जरा भी लाभ प्रास नहीं कर सके परन्तु शीतल चन्दन के घिसनेके ज्ञानके अभाव में अग्नि ही मिलती है उसी प्रकार उन को भी उस में निष्फलता ही मिली है। શ્રી અનુત્તરોપપાતિક સૂત્ર
SR No.006337
Book TitleAgam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages218
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy