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________________ २८२ उपासकदशाङ्गसूत्रे सम्बन्धे या स्वनिश्चिता मर्यादा, तदुल्लङ्घनं द्वितीयः (२) घृत दुग्ध-दधि-गुड-शर्करादिकं धनं, शालि-गोधूम-मुद्ग-माष-यव-मकादिकं च धान्यम्, एतदुभयविषये या स्वानिश्चिता मर्यादा तदुल्लङ्घनं तृतीय: (३)। दासीदासादयो मनुष्या हंसमयूरादयः पक्षिणश्च द्विपदाः, तथा गज गवा-श्व-महिष्यादयश्चतुष्पदाः, एतद्विषये या स्वनिश्चिता मर्यादा, तदुल्लकनं चतुर्थः (४) । शय्यासनवस्त्रभाजनादि कुप्यं, तद्विये या स्त्रनिश्चिता मर्यादा, तदुल्लङ्घनं पञ्चमः (५)। आसां सर्वासां मागुक्तानां मर्यादानामनाभोगत उल्लङ्घनमतीचार आभोगतस्त्वनाचारः । अत्रेत्थं सग्रहगाथा:-- "एत्थवि पंचऽइयारा, खेत्ताइपमाणलंघणं पढमो । बीओ हिरणपभिइ,प्पमाणपरिलंघणं चेव ॥ १ ॥ छाया-" अत्रापि पश्चातीचाराः, क्षेत्रादिप्रमाणलङ्घनं प्रथमः । द्वितीयो हिरण्यप्रभृति, प्रमाणपरिलचनं चैव ॥ १ ॥ विना घडी हुई रजत (चांदि-सोने) की निश्चित मर्यादा का उल्लंघन करना दुसरा अतिचार है। (३) घी, दूध, दही, गुड़, शकर आदि धन, और चावल, गेहूँ, मूंग, उड़द, जौ, मक्का ,-आदि धान्य कहे जाते हैं। इन दोनों के विषय में जो मर्यादा की हो उसका उल्लंघन करना तीसरा अतिचार है। (४) दासी, दास आदि मनुष्य और हंस मोर आदी पक्षी द्विपद, तथा हाथी, घोड़ा, गाय, बैल, भैस आदि चतुष्पद कहलाते हैं। इनके सम्बन्धमें की हुई मर्यादाको उल्लंघन करना चौथा अतिचार है। . (५) शय्या, आसन, वस्त्र, बर्तन आदि कुप्यधातु हैं। उनका संबन्ध में की हुई मर्यादाको उल्लंघन करना पाचवा अतिचार है । संग्रह गाथाओंका अर्थ भी यही है ।। ४९ ॥ ચાંદીની નિશ્ચિત મર્યાદાનું ઉલ્લંઘન કરવું એ બીજે અતિચારે છે. (3) घी, दूध, दही , सा७२ मा धन सन 2 मा, घ, भग, म, જવ, મકાઈ આદિ ધાન્ય કહેવાય છે. એ બેઉની જેટલી મર્યાદા કરી હોય તેનું ઉલંઘન કરવું એ ત્રીજો અતિચાર છે. (४) हासी, हास, माह मनुष्य तथा स, भा२ मा पक्षी द्विपद, भने હાથી, ઘોડા, ગાય, બળદ, ભેંસ આદિ ચતુષદ કહેવાય છે. એ સંબંધે કરેલી મર્યાદાનું ઉલ્લંઘન કરવું એ ચે અતિચાર છે. (५) शय्या, भासन, १२त्र, 41 माह प्य वाय छे. ये संगधा કરેલી મર્યાદાનું ઉલ્લંઘન કરવું એ પાંચમે અતિચાર છે. સંગ્રહ ગાથાઓને પણ मेश मर्थ छे. (४८). ઉપાસક દશાંગ સૂત્ર
SR No.006335
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages587
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_upasakdasha
File Size30 MB
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