SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 624
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनगारधर्मामृतवर्षिणी टी० अ० १७ कालिकद्रोपगत आकीर्णाश्विवक्तव्यता ६०९ 'वित्तवीणाणय' वृत्तवीणानां = गोलाकार वीणानां च - अन्येषां च बहूनां नानाविधानां 'सोइंदियपाउग्गाणं ' श्रोत्रेन्द्रिय प्रायोग्याणां = कर्णेन्द्रियसुखजनकानां द्रव्याणां= तन्त्र्यादिरूपाणां शकटीशाकटं भरन्ति तैर्वीणादिभिरित्यर्थः भृत्वा बहूनां' किण्हाtय जाव सुकाणय ' कृष्णानां यावत्-नीलानां पीतानां रक्तानां शुक्लानां च कृष्णादिपञ्चवर्णयुक्तानां ' कटुकम्माण य' काष्ठकर्मणां = काष्ठनिर्मित पुतलिकादीनाम्, 'पोत्थकम्माणय ' पुस्तषु कर्मणां पुस्तेषु वस्त्र ताडपत्रकर्गलादिषु कर्माणि= लेखनकर्माणि तेषाम् ' चित्तकम्माण य' चित्रकर्मणां पट्टकादिषु चित्ररूपाणाम्, 'लेप्पकम्माणय ' लेप्यकर्मणां = मृत्तिका से टिकादिना वल्ल्याद्याकाररचना विशेषरूपाणाम्, तथा - ' गंथिमाण य ' ग्रन्थिमानां = कौशलातिशयेन ग्रन्थिसमुदायनिष्पादितानाम् - यावत् - ' वेढिमाण य' वेष्टिमानां=लतादि वेष्टनतो निष्पादिवानाम्, ' पूरिमाण य' पूरिमाणां कनकादिषु पुचलिकावत् छिद्रादिपूरणेन के आकार जैसी वीणाओं को, भंभाओं भेरियों-को, षड् भ्रामरियों को - गोलाकार वीणाओं को, तथा और भी अनेक विधश्रोत्रेन्द्रिय सुखजनक तंत्री आदिरूप द्रव्यों को, भरा-भर करके फिर नीले, पीले, रक्त, शुक्ल और कृष्ण रंग से रंगे हुए काठ के बने हुए खिलौनों को, पुस्तकर्मों को वस्त्र, ताडपत्र एवं कागज आदि पर लिखे विविध प्रकार के लेखों को, निबन्धों को उपदेश पूर्ण दोहे चौपाइ आदि में लिखी हुईं कविता आदि को को चित्रकर्मों को पटिया आदि पर उकेरे गये विविध चित्रों को लेप्यकर्मों को मृत्तिका सेटिका आदि से बल्ली आदि रूप में बनाये गये चित्रों को, ग्रंथिमों को विशेष चतुराई के साथ गांठों से बनाये गये खिलौनों को, लताओं आदि द्वारा वेष्टित करके २ रचीं गईं चीजों को, - टोपियों को, हाथों की पैरों की अंगुलियों में पहिरने योग्य --- नेवी वीलामी, ललाओ।-लेरीओ ( नगाराओ। ) षडू-आभरीभेो, गोण साठारવાળી વીણાએ તેમજ બીજા પણ ઘણા કણેન્દ્રિયને સુખ આપે તેવા તત્રી वगेरै साधनाने लय लरीने सीसा, चीजा, राता, सह भने अजा गोथी રંગાએલાં લાકડાંના બનેલાં રમકડાંને, પુસ્તકમેનિ-વ* તાડપત્ર અને કાગળ વગેરે ઉપર લખાએલા જાતજાતના લેખાને, નિબધાને, દૃઢા, ચાપાઇ વગેરેમાં લખાએલી ઉપદેશક કવિતાઓ વગેરેને, ચિત્ર કર્મોને-ફલક વગેરે ઉપર ચિત્રિત કરેલાં ઘણાં ચિત્રાને લેપ્ટ કર્મોને, માટી સેટિકા વગેરેથી લતા વગેરે રૂપમાં બનાવવામાં આવેલા ચિત્રાને, ગ્રંથિમાને–વિશેષ ચાતુર્યથી ગાંઠોથી બનાવવામાં આવેલાં રમકડાંને, લતાએ વગેરે વડે વેષ્ટિત કરીને ખનાવવામાં આવેલી વસ્તુ શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્ર ઃ ૦૩
SR No.006334
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages867
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy