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________________ अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका. अ.१ २१ मेघकुमारपालनादिवर्णनम् २७३ समानयतीत्यर्थः । ततः खलु मेघस्य कुमारस्य मातापितरौ तं कलाचार्य मधुरैर्वचनैविपुलेन वस्त्रगन्धमाल्यालंकारेण सत्कुरुतः, संमानयतः, सत्कृत्य सम्मान्य विपुलं 'जीवियारिहं' जीविताह यावज्जीवनयोग्यं प्रीतिदानं दत्तः, दत्त्वा प्रति विसर्जयतः मू. ॥२१॥ मूल-तएणं से मेहे कुमारे बावत्तरिकलापंडिए णवंगसुत्तपडिबोहिए अट्रारविहिप्पगारदेसीभासाविसारए गीइरइगंधवनदृकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमदों अलं भोगसमत्थे साहसिए वियालचारी जाए यावि होत्था, तएणं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं वावत्तरिकलापंडियं जाव वियालचारिं जायं पासंति पासित्ता अट्टपासायडिंसए कारेंति, अब्भूग्गयमूसियपहसिय विव मणिकणगरयणभत्तिचित्ते वाउद्भूय विजय वेजयंतिपडागच्छत्ताइच्छत्तकलिए तुंगेगगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालं. तररयणपंजरुम्मिलियव्वमणिकणगथूभियाए वियसियसयपत्तपुंडरीए तिलयरयणद्धयचंदच्चिए नानामणिमयदामालंकिए अंतोबहिं च मेघकमार को लाकर उसके मातापिता को सौंप दिया। (तएणं मेहस्स अम्मा पियरो त कलायरियं) इसके बाद मेधकुमार के मातापिताने उस कलावार्य का (महरेहिं वयहिं) मिष्ट बचनों से और (विउलेणं वत्यगंध मल्ला लंकारेणं) विपुल वस्त्र गंध माला, अलंकार से (सक्कारेंति सम्माणेति) सत्कार किया सन्मान किया (सक्कारिता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति सत्कार सन्मान करके विपुल प्रीतिदान जीवन पर्यत निर्वाह होसके उतना उन्हें दिया । (दलयित्ता पडि विसज्जति) देकर फिर विदा करदिया। ।मूत्र २१॥ (तएण मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरा तं कलायरियं) त्या२ मा भेषभाना मातापिता ते सायायन (महुरेहिं क्यणेहि) भी। वयना दास अने. (विउलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं) पुष्ठ प्रमाणुमा वसो, ॥ मने । दा॥ (सकारेंति सम्माणेति) सा२ ४ भने सन्मान यु. (सक्कारिता सम्म णित्ता विउलं जीवियारिह पीइदाणं दलयंति) सत्४।२ अने. सन्मान. साधीन मावन सुधानु विधुत प्रभाशुभ प्रीतिहान सायु. ( दलयित्ता पडिविसज्जति) सापाने तेभने विहाय ४ा. ॥ सूत्र २१ ॥ શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006332
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages764
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size45 MB
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