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________________ - भगवतीस्त्रे अथ द्वितीयमेकेन्द्रियशतम् अथ त्रयस्त्रिंशत्तमे शते प्रथमशतं व्याख्याय क्रमप्राप्तं द्वितीय शतमारमते, तस्येदं सूत्रम् 'कइविहा णं भंते' इत्यादि । मूलम्-कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता । तं जहापुढवीकाइया जाव-वणस्सइकाइया। कण्हलेस्सा णं भंते ! पुढवीकाइया कइविहा पन्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता । तं जहा-सुहुमपुढवीकाइया य बायरपुढवीकाइया य। कण्हलेस्साणं भंते! सुहमपुढवीकाइया कइविहा पन्नत्ता ? गोयमा! एवं एएणं अभिलावेणं चउक भेओ जहेव ओहि उद्देसए जाव वणस्सइकाइय त्ति । कण्हलेस्ता अपज्जत्तसुहुमपुढवीकाइया णं भंते ! कइकम्मपगडीओ पन्नत्ताओ? एवं चेव एएणं अभिलावणं जहेव-ओहि उद्देसए तहेव पन्नताओ तहेव वेदेति सेवं भंते ! सेवं भंते !त्ति कइविहाणं भंते ! अणंतरोववन्नग कण्हलेस्स एगिंदिया पन्नत्ता ? गोयमा! पंचविहा अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया । एवं एएणं अभिलावेणं तहेव दुपयो भेओ जाव वणस्सइकाइय त्ति । अणंतरोववन्नग कण्हलेस्स सुहमपुढवीकाइयाणं भंते ! कइकम्मपगडीओ पन्नत्ताओ? एवं एएणं अभिलावणं जहा-ओहिओ अणंतरोववन्नगाणं उद्देसओ तहेव जाव वेदोंत । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। कइविहा गं भंते ! परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता । तं जहा-पुढवीकाइया० एवं एएणं अभिलावेणं तहेव चउको भेओ जाव वणस्तइकाइयत्ति । શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૭
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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