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________________ १०७ १०८ १०९ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ११६ १३ ५ वें से आठवां पर्यन्त के चार उद्देशक कृष्णलेश्यावाले राशियुग्म कृतयुग्भ नैरविकों के उत्पाद का कथन कृष्णले श्यावाले ज्योज - द्वापरयुग्म, कल्योज राशिवाले नैरविकों के उत्पाद का कथन नववें से १२ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन dredsयात्राले चार उद्देशकों के नैरयिकों के उत्पाद का कथन १३ वें से वीस पर्यन्त के उद्देशक कापोतश्यायुक्त नैरयिकों के उत्पाद का चार उद्देशक एवं तेजोलेश्यावाले नैरविको के चार उद्देशकों द्वारा कथन २१ से २८ पर्यन्त के उद्देशक का कथन पद्म शुक्ललेश्या से युक्त चार चार उदेशकों का कथन २९ से ५६ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन मवसिद्धिकराशियुग्म कृतयुग्म नैरवकों की उत्पत्ति का कथन कृष्णलेश्यायुक्त भत्रसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन atest एवं कापोतश्यायुक्त भवसिद्धिक राशियुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन तेजोलेश्या पद्मश्यायुक्त भवसिद्धिकों का चार चार उद्देशक शुक्ललेश्यायुक्त भवसिद्धिकों का चार શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭ उद्देशकों से कथन ७२९-७३१ ७३२-७३३ ७३४-७३५ ७३६-७३९ ७४०-७४२ ७४३-७४५ ७४६ ७४७ ७४८ ७४९
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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