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________________ ११७ १२० १२१ ५७ से ८४ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन अभवसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरपिकों के उत्पत्ति का कथन ७५०-७५२ कृष्णलेश्यावाले अमवसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७५३नीललेश्यावाले आदि लेश्यायुक्त अभवसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७५४-७५७ ८५ से ११२ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन सम्यग्दृष्टि आदि राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का निरूपण ७५८-७५९ कृष्णादि लेश्यायुक्त राशियुग्म कृतयुग्म नैरपिका के ___ उत्पत्ति का निरूपण ७६०-७६१ ११३ में से १४० पर्यन्त के उद्देशक का कथन मिथ्यादृष्टि राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७६२-७६३ १४१ से १६८ पर्यन्त के उद्देशक का कथन कृष्णपाक्षिक राशियुग्म कृत्युग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७६४-७६५ १६९ से १९६ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन शुक्लपाक्षिक यावत् शुक्लपाक्षिक शुक्लले श्थ राशियुग्म नरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७६६-७७२ भगवतीसूत्र के शतक एवं उद्देशकों का कथन ७७३-७७४ भगवतीसूत्र के उपदेश के प्रकार का कथन ७७५-७८० १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ ॥समाप्त॥ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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