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________________ १२ ९७ ९८ १.१ दसवां संझिमहायुग्म शत नीललेश्यावाले कृतयुग्मकृतयुग्म संक्षिपञ्चेन्द्रिय जीवों के उत्पत्ति का कथन ६७३-६७५ ११ वें से १४ पर्यन्त के संझिमहायुग्म शतक भवसिद्धिक एकेन्द्रिय के सात शतकों का कथन ६७६-६७७ पन्द्रहवां संज्ञिमहायुग्म शत अभवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म संज्ञिपञ्चेन्द्रिय जीवों के उत्पत्ति का कथन ६७८-६८४ दूसरा उद्देशक प्रथमसमय अभवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म संधि पञ्चेन्द्रिय जीवों के उत्पत्ति का कथन ६८५-६८७ सोलहवां संज्ञिमहायुग्म शत कृष्णलेश्यावाले अभवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्म संक्षिपञ्चेन्द्रियों के उत्पत्ति का कथन ६८८-६९० १७ से २१ पर्यन्त के महायुग्म शत नील, कापोत आदि छह लेश्यायुक्त __ अभवसिद्धिकों के उत्पत्ति आदि का कथन ६९१-६९६ ४१ वां शतक का प्रथम उद्देशा राशियुग्म का निरूपण ६९७-७१७ दूसरा उद्देशा सशियुग्म योजनैरयिकों के उत्पाद का निरूपण ७१८-७२२ तीसरा उद्देशा राशियुग्म द्वापरयुग्मराशिवाले नैरयिकों के उत्पाद का कथन ७२३-७२५ चौथा उद्देशा राशियुग्म कल्योज नैरयिकों के उत्पाद का निरूपण ७२६-७२८ १०२ १०४ १०५ १०६ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
SR No.006331
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages803
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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