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________________ ३३० भगवती 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'एगंमि संजलगलोभे होज्जा' एकस्मिन् संज्वलनलोभे भवेत् । 'अहक्खायसंजए जहा णियंठे' यथाख्यातसंयतो यथानिग्रन्था, कषायद्वारे यथाख्यातसंयतो निर्ग्रन्थवदेव ज्ञातव्यः, नो सकषायी भवेत् किन्तु अकषायी भवेत् यदि अकषायी भवेत्तदा किमुपशान्तकषायी भवेन् क्षीणकषायी वा भवेत् ? गोतम ! उपशान्तकषायी वा भवेत् क्षीणकषायी या भवेदिति । (१८) मृ०४। 'सुहमसंपरायसंजए पुच्छा' हे भदन्त ! सूक्षमसंपराय संयत क्या कषाय सहित होता है ? अथवा कषाय रहित होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा' हे गौतम ! वह कषाय सहित होता है कषाय रहित नहीं होता है। 'जह सकसाई होजना से गं भते! कइसु कसाएसु होज्जा' हे भदन्त ! यदि वह कषाय सहित होता है तो हे भदन्त ! वह कितनी कषायों वाला होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा ! एगमि संजलणलोभे होज्जा' हे गौतम ! वह सिर्फ एक संज्वलनलोभवाला ही होता है। 'अहक्खायसंजए जहा णियंठे' हे गौतम ! यथाख्यात संयत निन्थ के जैसे ही कषाय द्वार में जानना चाहिये । तथा च यथाख्यात संयत निर्ग्रन्थ के जैसे अकषायी होता है-कषाय सहित नहीं होता है । अकषायी अवस्था में अथवा तो वह उपशान्त कषाय वाला होता है अथवा क्षीण कषाय वाला होता है। सू०४॥ ॥ १८ वां कषाय द्वार का कथन समाप्त ॥ 'सहमसंपरायसंजए पुच्छा' सावन सूक्ष्म ५२०य संयत शु उपाय સહિત હોય છે? અથવા કષાય વિનાના હોય છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभुश्री गौतमस्वामीन ४ छ -'गोवमा ! सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा' गौतम ! ते ४ाय सहित डाय छ, ४१६५ विनाना जाता नथी. 'जइ सकसाई होज्जा से णं भंते ! कइसु कसाएसु होज्जा' सगवन् न त કષાય સહિત હોય છે, તે તે કેટલા કષાવાળા હોય છે? આ પ્રશ્નના उत्तरमा प्रसुश्री छ -'गोयमा ! एगंमि संजलणलोहे होज्जा' गौतम! १५ मे सवसन मा डाय छे. 'अहक्खायसंजए जहा णियंठे' 3 गौतम ! यथाज्यात सयत ४ायद्वाना समां निन्थ प्रभार સમજવા. અર્થાત્ યથાખ્યાત સંયત નિર્ચથના કથન પ્રમાણે અકષાયી હોય છે. કષાય સહિત દેતા નથી. અકષાયી અવસ્થામાં તે ઉપશાંત કષાયવાળા હોય છે. અથવા ક્ષીણુકષાય વાળા હોય છે. સૂત્ર કા શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬
SR No.006330
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages698
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size41 MB
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