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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका २०२५ उ.५ २०१ पर्यबादिनिरूपणम् 'अपवंगे' अववाङ्गः, 'अत्रवे' अत्रवः, 'हूहूयंगे' इहू काङ्गः, 'हूहूए' हहुकः 'उपपलंगे' उत्पला', 'उपले' उत्पलम्, 'पउमंगे' पद्माङ्गः, 'पउमे' पद्मम् 'निलि. गंगे' नलिनाङ्गा, नलिणे' नलिनः ‘अच्छणिपुरंगे' अच्छनिपुराजा, 'अच्छणि. पुरे' अच्छनिपुरः, 'अउयंगे' अयुता, 'अउए' अयुतम्, 'नउयंगे' नयुताः , 'नउए' नयुतम् 'पउयंगे' प्रयुताङ्गः, 'पउए' प्रयुतम् 'चुलियंगे चूलिकाना, 'चूलिए' चूलिका, 'सीसपहेलियंगे शीर्ष प्रहेलिकाङ्गः, 'सीसपहेलिया' शीर्ष पहे. लिका. 'पलिओषमे पल्योपमम् 'सागरोबमे' सागरोपमम् 'ओसपिणी' अबसर्पिणी, 'एवं उस्सप्पिणीवि' एवमुत्सपिण्यपि, आनपाणादारभ्य उत्सर्पिणी. पर्यन्ताः कालविशेषाः नो संख्यातसमयात्मका न वा अनन्तसमयात्मकाः किन्तु एक अवांग रूप काल 'अववे' एक अववरूप काल हूहयंगे' एक हुए कासपकाल' हहए' एक हहकरूप काल 'उप्पलंगे' 'उप्पलांगरूप काल 'उप्पले' एक उत्पलरूप काल 'पउमंगे' एक पद्मांगरूप काल 'पउमे' एक पद्मरूप काल 'नलिणंगे' एक नलिनाङ्गरूप काल 'नलिणे' एक नलि. नरूप काल 'अच्छणिपुरंगे' एक अच्छनिपुराङ्गरूप काल 'अच्छणिपुरे' एक अच्छणिपुर रूप काल 'अउयंगे' एक अयुताङ्गरूपकाल 'अउप' एक अयुतरूप काल 'नउयंगे' एक नयुतागरूप काल 'नउए' एक नयुतरूप काल 'पउयंगे' एक प्रयुताङ्गरूप काल 'पउ९' एक प्रयुतरूप काल 'चुलि यंगे एक चूलिकाङ्गरूप काल 'चूलिए' एक चूलिका रूप काल सीस पहेलियंगे' एक शीर्ष प्रहेलिकाङ्गरूप काल' 'सिसपहेलिया' एक शीर्ष प्रहेलिकारूप काल 'पलि ओवमे' पल्योपमरूप काल 'सागरोवमे' साग रोपमरूप काल 'ओसचिणी' अवसर्पिणीरूप काल ‘एवं उस्सपिणी वि और उत्सर्पिणी रूप काल ये सब आन प्राण से लेकर उत्सर्पिणी तक ३५ ण 'अववे' 23 अ११३५ ४१ 'हूहूयंगे' से डूडू४३५ ४१ हूहूए' डड ३५४ 'उप्पलंगे' से 6५it३५ समय 'उप्पले' मे Bria 34 'पउमगे' मे पानां३५ ४ 'पउमे' मे ५५३५ ण 'नलिणंगे' नति. न३५ 'नलिणे' में नलिन ३५ । 'अच्छणिपुरंगे' से ५२७ नy. २२॥ ३५ ४. 'अच्छणिपुरे' मे २५२७ निपु२ ३५ 'अउयंगे' से अय. तin ३५ ४१७ 'अउए' में अयुत ३५ ण 'नउयंगे' से नयुतां॥ ३५ ॥ 'नउए' से नयुत ३५ ४५ 'पउयंगे' से प्रयुतां॥ ३५ ॥ 'पउए' में प्रयुक्त ३५ 'चलियंगे' 28 यूलिsin ३५ ण 'चूलिए' मे यूति। ३५ ॥ सीसपहेलियंगे' में शीर्ष प्रति ३५ ४७ 'सिसपहेलिया' मे शीप प्रड 1 ३५ 'पलिओवमे' पत्यापम ३५ ४in 'सागरोवमे' सागरे५५ ३५ सोसपिणो' असपिणी ३५ ४.‘एवं उत्सप्पिणी वि' मन BAH भ०२ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬
SR No.006330
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages698
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size41 MB
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