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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.६ सू०१० विंशतितम परिमाणद्वारम् २०३ कर्मप्रकृतेरुदीरको वा द्विविधकर्मप्रकृते रुदीरको वा भवति निग्रन्थः । 'पंच उदीरेमाणे आउयवेयणिज्नमोहणिज्नवजाभो पंचकम्मपगडी भो उदीरेई' पञ्चकर्मपकृतीरुदी रयन् आयुष्कवेदनीयवर्जिताः पञ्चकर्मप्रकृतीरुदीरयति । 'सिणाए णं पुच्छा' स्नातकः खलु भदन्त ! पृच्छा हे भदन्त ! स्नातकः कति कर्मपकृतीरुदीरयतीलि प्रश्नः। भगवानाह-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'दुविह उदीरए वा अणुदीरए वा' द्विविधकर्मण उदीरको वा भवति स्नातकः अनुदीरको वा भवति स्नातकः, 'दो उदीरेमाणे णामं च गोयं च उदीरेई' द्वे कर्मप्रकृतीउदीरयन् नाम च गोत्रं च उदीरयति । विह उदीरए वा दुविह उदीरए वा' हे गौतम ! निन्ध पांच अथवा दो कर्म प्रकृतियों की उदीरणा करता है । 'पंच उदीरमाणे आउययः णिज्ज मोहणिज्जवज्जाओ पंच कम्मपगडीओ उदीरेह' जब यह पांच कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है तब यह आयु. वेदनीय, मोहनीय इन कर्मप्रकृतियों को छोड़कर शेष पांच कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है । और जब यह 'दो उदीरेमाणे णामं गोयं च उदीरेइ' दो कर्म प्रकृतियों की उदीरणा करता है तब यह नाम और गोत्र कर्म की उदीरणा करता है। ___ सिणाए गं पुच्छा' हे भदन्त ! स्नातक कितनी कर्म प्रकृतियों की उदीरण करता है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा ! दुम्विह उदीरए वा अणुदीरए वा' हे गौतम ! स्नातक दो कर्मप्रकृति की उदीरणा करता है अथवा नहीं भी करता है । जब वह दो कर्म दुविह उदीरए वा' 3 गौतम ! नि-थ पांय २५01 मे म प्रतियानी Sale! छ. 'पच उदोरेमाणे आउयवेयणिज्जमोहणिज्जवज्जाओ पंच कम्म. पगडीओ उदीरेइ' ने ते पाय में प्रतियोनी ही२९। २ छ, सारे આયુ, વેદનીય, મેહનીય, એ ત્રણ કર્મ પ્રકૃતિને છેડીને બાકીની પાંચ में प्रतियोनी sel२७॥ ४२ छे. भने न्यारे ते 'दो उदीरेमाणे णाम च गोयच उदीरेइ' में प्रकृतियानी हीर! ४२ छे, त्यारे ते नाम भने ગેત્ર કમ એ બે કમ પ્રકૃતિની ઉદીરણ કરે છે. सिणाए णं पुच्छा' 3 भगवन् २नात ईसी में प्रतियोनी Glrg! रेछ ? 241 प्रश्न उत्तरमा प्रसुश्री छेडे-गोयमा! दुन्विह उदीरए वा अणुदीरए वा' 3 गौतम ! स्नात में भी प्रतियानी Gl२९]! ४२ ५५ , અને નથી પણ કરતા જ્યારે તે બે કર્મ પ્રકૃતિની ઉદીરણ કરે છે, તે તે શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬
SR No.006330
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages698
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size41 MB
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