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प्रमेयचन्द्रिका रीका श०३५ उ.६ १०९ एकोनविंशतितम लेश्याद्वारम् १७९ वान कषायकुशीलो भवतीति भावः 'णियंठे णं भंते ! पुच्छा' निर्ग्रन्थः खलु भदन्त ! कि सलेश्यो भवति अलेश्यो वा भवतीति पृच्छा-प्रश्नः, भगवानाह'गोयमा' इत्यादि. 'गोयमा' हे गौतम ! 'सले से होज्जा णो अलेस्से होज्जा' सलेश्यो भवेत् निर्णय: नो अलेश्यो भवेत् । 'जह सलेस्से होज्जा' यदि सलेश्यो भवेत् ‘से णं भो ! कइसु लेस्सासु होज्जा' स खल्लु भदन्त ! कतिषु लेश्याम भवे. दिति प्रश्नः भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! एकाए सुक्क लेस्साए होज्ना' एकस्यां शुक्लेश्यायां भवेत् एकेन शुक्लेश्या निर्ग्रन्थस्य भवतीति भावः । 'सिणाए पुच्छा' स्नातकः खलु भदन्त ! किं सलेश्यो भवति-अले. श्यो वा भवतीति पृच्छा-प्रश्नः । भगगनाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सले से वा होज्जा अलेसे वा होज्जा' सलेश्यो वा भवेत् अलेश्यो का साधु-कृष्ण, नील, कापोतिक, तेजस, पद्म और शुक्ल इन छह लेश्याओंवाला होता है। 'णियंठे गं भंते ! पुच्छा' हे भदन्त ! जो निर्ग्रन्थ साधु है वह लेश्यावाला होता है ? अथवा विनालेश्या का होता है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हे गौतम ! वह लेश्यासहित होता है विना लेश्या का नहीं होता है । 'जइ सलेस्से होज्जा से ण भंते ! कहसु लेस्सासु होज्जा' हे भदन्त ! यदि वह लेश्यावाला होता है तो कितनी लेश्याओंवाला होता हैं ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते है-'गोयमा ! एक्काए सुक्कलेस्साए होजा' हे गौतम ! वह निर्गन्ध साधु एक शुक्ल लेश्यावाला ही होता है। 'सिगाए पुच्छ।' हे भदन्त ? स्नातक क्या लेश्यावाला होता है ? अथवा विनालेश्या का होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोधमा! सलेसे वा होज्जा, अलेस्से वा છે, અને શલલેશ્યાવાળા હોય છે તથા તે કષાયશીલ સાધુ કૃષ્ણ, નીલ,
ति, तेस ५ मन शुस कसे ७ वेश्या होय छे. 'णियंठे थे भंते ! पुच्छा' 3 समवन निन्थ साधु छे, ते वेश्यावाण य छ । લેશ્યા વિનાના હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુત્રી કહે છે કે હે ગૌતમ!
बेश्या साथ हाय छ, सेश्या विनाना खाता नथी. 'जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते ! कइसु लेस्सासु होजाइ मापन नत सेश्यावा य छे. તે કેટલી લેક્યા વાળા હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે
गौतम! ते निन्य साधु से शुस श्यापणा हाय छे. 'सिणाए પુછા' હે ભગવદ્ સ્નાતક શું લેશ્યાવાળી હોય છે? અથવા લેહ્યા વિનાના हाय छ १ मा प्रश्न उत्तम प्रभुश्री छ -'गोयमा ! सलेस्से वो होज्जा, अलेस्से वा होज्जा' गौतम! नात श्याचा
थे,
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૬