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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०३ पञ्चग्दे शिकस्कन्धनिरूपणम् ६६३ कालश्च नीलश्च लोहितश्च शुक्लश्चेति कालनीललोहितशुक्लैरपि भङ्गा भवन्ति 'एत्थ विपंचभंगा' अत्रापि पश्चभङ्गाः अत्रापि कालनीललोहित शुक्लेष्वपि पञ्चभङ्गा भवन्ति, नथाहि-सिय कालए य नीलए य ले हियए य सुकिल्लए य१, सिय कालए य नीलएय लोहियए य सुकिल्लगा य२, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य सुकिल्लएय३, सिय कालए य नीलगाय लोहियए य सुकिल्लए य४, सिय कालगा य नील. भंग होते हैं उन्हें प्रकट किया जाता है 'सिय काल ए य नीलए य लोहियए य सुविकल्ले य १ कदाचित् वह एक प्रदेश में कालेवर्णवाला हो सकता है किसी एक प्रदेश में नीलेवर्णवाला हो सकता है किसी एक प्रदेश में लालवर्ण वाला हो सकता है और किसी एक प्रदेश में शुक्लवर्ण वाला हो सकता है १ अथवा 'सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किल्लगा २ सिय कालए य नौलए य लोहियगा य सुकिल्ले य ३ सिय कालए य नीलगा य लोहियए य सुक्किल्ले य ४ सिय कालगा पनीलए य लोहियए य सुक्किल्लए य ५' वह किसी एक प्रदेश में कृष्णवर्ण वाला किसी एक प्रदेश में नीलवर्ण वाला किसी एक प्रदेश में लोहितवर्णवाला और अनेक प्रदेशों में शुक्लवर्णवाला भीहो सकता है २ अथवा किसी एक प्रदेश में वह कृष्णवर्ण वाला किसी एक प्रदेश में नीलवर्ण वाला अनेक प्रदेशों में लोहितवर्ण वाला और एक प्रदेश में शुक्लवर्ण वाला भी हो सकता है ३ अथवा-वह एक प्रदेश में कृष्णवर्ण वाला अनेक प्रदेशों में नीले वर्ण घाला एक प्रदेश में लोहितवर्ण य१'हायतेचाताना से प्रदेशमा वाले डाय छे , प्रदेशमा નીલવર્ણવાળે હોય છે. કેઈ એક પ્રદેશમાં લાલવર્ણવાળ હોય છે. તથા કેઈએક प्रशमसिहा वाणयछे. मा पसल छे. 'सिय कालए य नीलए य लोहिय ए य सुकिल्लगा२' पाताना प्रदेशमा वाण પ્રદેશમાં નીલવર્ણવાળ કઈ એક પ્રદેશમાં લાલવર્ણવાળે તથા અનેક પ્રદેશમાં श्वेतवावा डाय छे. मा भी छे. २ 'सिय कालर य नीलए य लोहियगा य सुकिल्ले य ३' मथवा तपाताना ४ प्रहरीमा વાળો હોય છે કેઈ એક પ્રદેશમાં નીલવર્ણવાળો હોય છે. અનેક પ્રદેશમાં લાલવણુંવાળો હોય છે તથા કઈ એક પ્રદેશમાં સફેદરણુંવાળો હોય છે. આ तीन A1 2.3 'सिय कालए य' नीलगा य लोहियए य सुक्किल्ले य४' माते પિતાના કેઈ એક પ્રદેશમાં કાળાવર્ણવાળો હોય છે અનેક પ્રદેશમાં નીલવર્ણવાળો
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૩